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सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से पेशेंट केयर भत्ते पर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से पेशेंट केयर भत्ते के मामले में चार हफ्ते में जवाब मांगा है। एम्स प्रशासन ने हाल ही में गैर चिकित्सकीय कर्मचारियों का यह भत्ता समाप्त कर दिया था, जिससे दिव्यांग कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है। जानें इस मामले में क्या हुआ और फेडरेशन ने क्या कदम उठाए हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

एम्सImage Credit source: Getty Images

हाल ही में एम्स प्रशासन ने गैर चिकित्सकीय कार्यों से जुड़े कर्मचारियों का पेशेंट केयर भत्ता समाप्त कर दिया। इसमें विभिन्न विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारी भी शामिल थे। इस निर्णय का विरोध करते हुए एम्स दिव्यांग फेडरेशन ने अपील की थी, लेकिन प्रशासन ने अपना आदेश वापस नहीं लिया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से चार हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है।


फेडरेशन की चिंताएं

एम्स दिव्यांग फेडरेशन के अध्यक्ष संतदेव चौहान ठाकुर ने बताया कि पहले सभी गैर चिकित्सकीय कर्मचारियों को पेशेंट केयर अलाउंस मिलता था, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। इस विशेष भत्ते के समाप्त होने से भविष्य में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। संतदेव ने एम्स के निदेशक को पत्र लिखकर भत्ते को पुनः बहाल करने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।


भत्ते की शर्तें

किसे मिलेगा भत्ता?

संतदेव का कहना है कि जिन कर्मचारियों का भत्ता रोका गया है, वे भी मरीजों की देखभाल से जुड़े हैं। यह भत्ता स्वास्थ्य जोखिम और संक्रमण के खतरे को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है, इसलिए सभी योग्य कर्मचारियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि, एम्स का आदेश केवल मेडिकल स्टाफ जैसे नर्सों और डॉक्टरों को भत्ता देने का है।


पेशेंट केयर अलाउंस का महत्व

पेशेंट केयर अलाउंस क्या है?

सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को पेशेंट केयर अलाउंस दिया जाता है, क्योंकि ये कर्मचारी मरीजों के संपर्क में आते हैं और संक्रमण का जोखिम उठाते हैं। कभी-कभी उनके कार्य घंटे भी बढ़ जाते हैं। इसी आधार पर एम्स प्रशासन ने नॉन-मेडिकल कर्मचारियों को भत्ता देने से इनकार किया है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से स्पष्टीकरण मांगा है।