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सुप्रीम कोर्ट ने 3.66 लाख लोगों को अपील का अधिकार देने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर मामले में सुनवाई के दौरान 3.66 लाख लोगों को अपील का अधिकार देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अदालत ने चुनाव आयोग के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा कि अंतिम सूची से बाहर रखे गए व्यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। इस मामले में चुनाव आयोग ने अपनी दलीलें पेश की हैं, जिसमें उन्होंने आरोपों को गलत बताया है। जानें इस सुनवाई में और क्या हुआ और अदालत ने क्या निर्देश दिए।
 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर मामले की सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता में दो सदस्यीय पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। अदालत ने कहा कि अंतिम सूची से बाहर रखे गए लगभग 3.66 लाख व्यक्तियों को अपील करने का अधिकार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने इस मामले में एक ऐसा रुख अपनाया है जैसे सभी को बहिष्कार के कारणों के साथ आदेश दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया है, लेकिन अपील दायर करने का समय तेजी से कम हो रहा है, इसलिए अदालत ने इसे उचित माना।

अदालत ने एक अंतरिम उपाय के तहत बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सभी सचिवों को पैरालीगल स्वयंसेवकों और मुफ्त कानूनी सहायता परामर्शदाताओं की सेवाएं प्रदान करने के लिए पत्र भेजें, ताकि बाहर रखे गए व्यक्तियों को वैधानिक अपील दायर करने में सहायता मिल सके।

सचिव को तुरंत प्रत्येक गांव में पैरालीगल स्वयंसेवकों के मोबाइल नंबर और विवरण पुनः अधिसूचित करने के लिए कहा गया, जो बीएलओ से संपर्क करेंगे। वे अंतिम सूची से बाहर रखे गए व्यक्तियों के संबंध में जानकारी एकत्र करेंगे और अपील के अधिकार के बारे में सूचित करेंगे। इसके अलावा, वे अपील का मसौदा तैयार करने और मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेंगे। एसएलएसए एक हफ्ते में अदालत को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।


चुनाव आयोग की दलीलें

चुनाव आयोग ने दीं क्या दलीलें

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग ने एडीआर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि जिस महिला का नाम काटने का दावा किया जा रहा है, उसका नाम दोनों सूचियों में मौजूद है। द्विवेदी ने यह भी कहा कि एक नाम का पर्चा बेचा जा रहा है, जबकि उस पर कोई आवेदन ही नहीं किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि तीन हलफनामे प्राप्त हुए हैं, जिनकी जांच की गई है और यह पूरी तरह से झूठे हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह बिहार का निवासी है, लेकिन वह वहां नहीं था।


चुनाव आयोग के वकील की दलीलें

EC के वकील ने क्या कहा?

द्विवेदी ने कहा कि आयोग ने निर्देश दिया था कि जिन नामों को सूची से बाहर रखा गया है, उन्हें बूथवार प्रकाशित किया जाए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अब इसमें संदेह है कि ऐसा कोई व्यक्ति है भी या नहीं। द्विवेदी ने कहा कि यदि किसी को कोई शिकायत है, तो वे 5 दिनों के भीतर अपील दायर कर सकते हैं।


राजनीतिक दलों की भूमिका

राजनीतिक दल सिर्फ नैरेटिव सेट करना चाहते- द्विवेदी

द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक दल केवल नैरेटिव सेट करना चाहते हैं और कोई वास्तविक मदद नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई मुसलमानों को बाहर रखा गया है। जस्टिस कांत ने कहा कि हम केवल उन लोगों की मदद करना चाहते हैं जिन्हें शामिल नहीं किया गया है।


एडीआर के वकील की प्रतिक्रिया

ADR के वकील प्रशांत भूषण ने क्या कहा?

एडीआर की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि अदालत लीगल सर्विस अथॉरिटी से छानबीन करवा सकती है। जस्टिस बागची ने कहा कि दस्तावेज कल सौंपे गए थे और यह एक जिम्मेदारी होती है। भूषण ने कहा कि यदि चुनाव आयोग कहता है कि कोई समस्या है, तो विधिक सेवा प्राधिकरण पूछताछ कर सकता है।