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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू का विवादास्पद बयान, महिला वकीलों पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने हाल ही में महिला वकीलों पर एक विवादास्पद टिप्पणी की, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। उनके बयान को लेकर कई वकीलों और उपयोगकर्ताओं ने आलोचना की है, जिससे यह मामला और भी गरमाया है। काटजू ने कहा कि जिन महिला वकीलों ने उन्हें आंख मारी, उन्हें अदालत से अनुकूल निर्णय मिले। इस बयान के बाद उन्होंने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक यह वायरल हो चुका था। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और काटजू के अन्य विवादास्पद बयानों के बारे में।
 

मार्कंडेय काटजू का नया विवाद


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान के कारण चर्चा में हैं। इस बार उनका बयान महिला वकीलों से संबंधित है, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। दरअसल, एक महिला वकील ने जस्टिस काटजू से पूछा कि अदालत में प्रभावी ढंग से केस कैसे प्रस्तुत किया जाए। इसके जवाब में काटजू ने लिखा, "जिन महिला वकीलों ने मुझे आंख मारी, उन्हें अदालत से अनुकूल निर्णय मिले।"


काटजू की यह टिप्पणी तेजी से वायरल हो गई। कई वकीलों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे "महिलाओं का अपमान और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस" बताया। आलोचना इतनी बढ़ गई कि काटजू को कुछ ही समय बाद अपना पोस्ट हटाना पड़ा, लेकिन तब तक इसके स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर फैल चुके थे।


लोगों ने काटजू पर सवाल उठाते हुए कहा कि "पोस्ट तो अब डिलीट हो गया, लेकिन इनके सभी आदेशों की दोबारा समीक्षा होनी चाहिए।" कुछ अन्य ने यह भी पूछा कि इस तरह का बयान एक पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज को शोभा क्यों नहीं देता।


यह पहली बार नहीं है जब काटजू अपने विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में आए हैं। 2015 में उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली चुनाव में बीजेपी किरण बेदी की जगह शाजिया इल्मी को सीएम उम्मीदवार बनाती, तो नतीजे बेहतर होते, क्योंकि शाज़िया "ज्यादा खूबसूरत" हैं।


2020 में हाथरस गैंगरेप मामले पर उन्होंने कहा था कि "रेप पुरुषों की प्राकृतिक प्रवृत्ति है, बेरोजगारी और शादी न हो पाने से यह बढ़ती है।" इस बयान पर उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने हिजाब विवाद, राजनीति और भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के पुन:एकीकरण जैसे मुद्दों पर भी विवादास्पद राय व्यक्त की है।


मार्कंडेय काटजू 2006 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 2011 में रिटायर हुए। इससे पहले, वे मद्रास हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद, उन्होंने 2014 तक प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी भी संभाली। आज भी, वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और अक्सर राजनीति, साहित्य और दर्शन से जुड़े विचार साझा करते हैं। हालांकि, उनके कई बयानों के कारण विवाद उत्पन्न होते रहे हैं।


उनके ताजा बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहस जारी है। जहां कुछ लोग इसे "महिला वकीलों का अपमान" मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे "न्यायपालिका की साख को चोट" मानते हैं। भले ही काटजू ने अपना पोस्ट हटा लिया हो, लेकिन इस विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया पर उनका हर बयान पलभर में सुर्खियां बन जाता है।