सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने पर्यावरण की सुरक्षा पर धर्म के प्रभाव पर उठाए सवाल
पूर्व जज अभय एस. ओका की महत्वपूर्ण टिप्पणी
पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज अभय एस. ओका
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अभय एस. ओका ने हाल ही में ‘ग्रीन क्रैकर्स’ जलाने की अनुमति देने वाले आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं देता। ओका ने यह भी कहा कि यदि न्यायाधीश वास्तव में मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं, तो उन्हें लोकप्रिय या धार्मिक भावनाओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
जस्टिस ओका ने स्पष्ट किया कि पटाखे जलाना, मूर्तियों का विसर्जन और लाउडस्पीकर का उपयोग संविधान में आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर प्रदूषण फैलाना अनुचित है।
धर्म के नाम पर प्रदूषण का बढ़ता खतरा
दिल्ली में साल भर पटाखों पर प्रतिबंध लगाने वाले जज ओका ने कहा कि दुर्भाग्यवश, धर्म के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि सभी धर्म हमें पर्यावरण की रक्षा और जीवों के प्रति दया का पाठ पढ़ाते हैं। कोई भी धर्म हमें त्योहारों के दौरान पर्यावरण को नष्ट करने या जानवरों के प्रति क्रूरता करने की अनुमति नहीं देता।
पटाखों का उपयोग सभी धर्मों में
जस्टिस ओका ने कहा कि पटाखे जलाना केवल दिवाली या हिंदू त्योहारों तक सीमित नहीं है। भारत के विभिन्न हिस्सों में ईसाई नव वर्ष के पहले दिन भी पटाखे जलाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों का उपयोग लगभग सभी धर्मों के समारोहों में किया जाता है।
जस्टिस ओका के सवाल
जस्टिस ओका ने लोगों से सवाल किया, “क्या कोई यह कह सकता है कि पटाखे जलाना किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा है जो हमारे संविधान में संरक्षित है? हम अपने त्योहारों को खुशी और आनंद के लिए मनाते हैं, लेकिन क्या पटाखे जलाने से वास्तव में खुशी मिलती है, जबकि यह बूढ़े, बीमार, पक्षियों और जानवरों को परेशान करता है?”
उन्होंने एक और सवाल उठाया कि क्या हमारा धर्म किसी मूर्ति को नदी में विसर्जित करने का आदेश देता है? उन्होंने कहा कि गणपति मूर्तियों के विसर्जन के बाद मुंबई के समुद्र तटों और अन्य स्थानों पर जाकर देख सकते हैं कि यह किस तरह से नदियों को नुकसान पहुंचाता है। यह केवल गणपति विसर्जन तक सीमित नहीं है, अन्य धार्मिक त्योहार भी समुद्र तटों और झीलों के किनारे मनाए जाते हैं।