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सुप्रीम कोर्ट का सड़क सुरक्षा पर महत्वपूर्ण आदेश: राज्यों को नियम बनाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सार्वजनिक स्थानों पर पैदल यात्रियों और गैर-मोटर चालित वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश छह महीने के भीतर लागू करने के लिए कहा गया है। जानें इस आदेश के पीछे का कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

सड़क सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देश


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मंगलवार को, शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक स्थानों पर पैदल यात्रियों और गैर-मोटर चालित वाहनों (जैसे साइकिल और हाथ गाड़ियां) के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाएं। इसके साथ ही, सड़कों के निर्माण और रखरखाव की निगरानी भी सुनिश्चित की जाए। यह आदेश छह महीने के भीतर लागू करने के लिए कहा गया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सड़क सुरक्षा से संबंधित लंबित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने सभी राज्यों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 (एमवी एक्ट) की धारा 138(1ए) और 210डी के तहत नियम बनाने का निर्देश दिया है। ये प्रावधान 2019 में किए गए संशोधनों के माध्यम से शामिल किए गए थे।

बड़े बदलाव की उम्मीद

धारा 138(1ए) राज्यों को सार्वजनिक स्थानों पर गैर-मोटर चालित वाहनों और पैदल यात्रियों के आवागमन को नियमित करने के लिए सड़क सुरक्षा नियम बनाने का अधिकार देती है। यदि राज्यों को राष्ट्रीय राजमार्गों पर ऐसे नियम लागू करने हैं, तो उन्हें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के परामर्श से तैयार करना होगा।

धारा 210डी के अनुसार, राज्य अन्य सड़कों के लिए डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के मानकों के नियम बना सकते हैं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि यदि ऐसे नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं, तो उन्हें छह महीने के भीतर तैयार करना होगा। यह आदेश कोयंबटूर के एक सर्जन एस. राजासीकरन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें भारत में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुद्दा उठाया गया था।

पिछले वर्षों में कोर्ट के निर्देश

याचिका में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए समन्वित प्रयास करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। राजासीकरन ने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की मौत और चोटों को कम करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भी निर्देश मांगे थे।

पिछले कुछ वर्षों में, कोर्ट ने सड़क सुरक्षा से संबंधित कई निर्देश जारी किए हैं, जिनमें सड़क सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक संचालन समिति का गठन और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 136ए (इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और सड़क सुरक्षा लागू करना) का कार्यान्वयन शामिल है। पिछले वर्ष अगस्त में, कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा भुगतान की सुविधा के लिए राज्य और केंद्रीय पोर्टल के गठन के लिए निर्देश देने पर विचार करने की बात कही थी।