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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से देने की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों को यौन शिक्षा देने के महत्व पर जोर दिया है, यह सुझाव देते हुए कि इसे कक्षा 9 के बजाय छोटी उम्र से शुरू किया जाना चाहिए। न्यायालय ने इस विषय पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं, जो बच्चों के हार्मोनल बदलावों और उनकी देखभाल से संबंधित हैं। इस निर्णय का संदर्भ एक किशोर को जमानत देने के मामले में दिया गया है, जो यौन अपराधों के आरोपों का सामना कर रहा था। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में और अधिक जानकारी।
 

सुप्रीम कोर्ट की नई दिशा

सुप्रीम कोर्टImage Credit source: Social Media

बच्चों को यौन शिक्षा देने के मुद्दे पर लंबे समय से चर्चा चल रही है। कुछ लोग इसके पक्ष में हैं, जबकि अन्य इसे अस्वीकार करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को सही समय पर यौन शिक्षा मिलनी चाहिए। इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों को कक्षा 9 के बजाय छोटी उम्र से यौन शिक्षा दी जानी चाहिए।

आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर क्या कहा है और किस मामले में यह टिप्पणी की गई है।


बच्चों को हार्मोनल बदलावों के प्रति जागरूक करना आवश्यक

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने बच्चों को यौन शिक्षा देने के संबंध में यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि बच्चों को यौन शिक्षा छोटी उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा 9 से। उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित प्राधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुधारात्मक उपाय करें, ताकि बच्चों को यौवन के दौरान होने वाले शारीरिक बदलावों और उनकी देखभाल के बारे में जानकारी मिल सके।

पीठ ने यह भी सुझाव दिया कि यौन शिक्षा को उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि बच्चों और किशोरों को हार्मोनल बदलावों के बारे में जागरूक किया जा सके।


सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का संदर्भ

यह टिप्पणी उस मामले में की गई जब सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपित 15 वर्षीय किशोर को जमानत दी। सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी को नाबालिग मानते हुए किशोर न्याय बोर्ड द्वारा निर्धारित शर्तों के तहत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

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