सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश: आवारा कुत्तों के प्रबंधन में बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें बंध्याकरण, टीकाकरण और सार्वजनिक स्थानों पर भोजन देने पर प्रतिबंध शामिल है। यह आदेश पूरे भारत में लागू होगा और सभी राज्यों को पशु जन्म नियंत्रण नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है। जानें इस फैसले की 10 महत्वपूर्ण बातें और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
Aug 22, 2025, 13:48 IST
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को एक महत्वपूर्ण आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से पकड़े गए आवारा कुत्तों को फिर से सड़कों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने यह स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों का बंध्याकरण, टीकाकरण और उन्हें उसी स्थान पर वापस छोड़ना आवश्यक है, जहां से उन्हें उठाया गया था, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित या संदिग्ध हैं या जिनका व्यवहार आक्रामक है। इसके अलावा, न्यायालय ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर भोजन कराने पर भी रोक लगा दी है और सभी नगरपालिका वार्डों में भोजन के लिए विशेष क्षेत्र निर्धारित करने का आदेश दिया है। इस निर्णय का प्रभाव पूरे भारत में होगा और सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों को पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 महत्वपूर्ण बातें
1. संशोधित रिहाई आदेश: अधिकारियों द्वारा पकड़े गए आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ने की आवश्यकता है। संक्रमित या संदिग्ध कुत्तों को अलग रखा जाएगा।
2. सार्वजनिक भोजन पर प्रतिबंध: देशभर में सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को भोजन देना प्रतिबंधित है। केवल नगरपालिका वार्डों में निर्धारित भोजन क्षेत्रों में ही अनुमति होगी।
3. फीडिंग प्वाइंट: नगरपालिका अधिकारियों को हर वार्ड में विशेष भोजन क्षेत्र स्थापित करने होंगे, जहां आवारा कुत्तों को भोजन दिया जा सके।
4. उल्लंघनों की रिपोर्टिंग के लिए हेल्पलाइन: नगर निकायों को आवारा कुत्तों के प्रबंधन से संबंधित उल्लंघनों की रिपोर्टिंग के लिए हेल्पलाइन नंबर स्थापित करना होगा।
5. कोई बाधा नहीं: व्यक्तियों या संगठनों को अधिकारियों के कार्यों में बाधा डालने की अनुमति नहीं होगी।
6. याचिकाकर्ताओं के लिए सुरक्षा जमा: अदालत में याचिका दायर करने वाले पशु प्रेमियों को सुरक्षा राशि जमा करनी होगी, जिसका उपयोग आवारा कुत्तों के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए किया जाएगा।
7. आवारा कुत्तों को गोद लेना: नागरिक आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्हें टैग किया जाएगा और उनकी निगरानी की जाएगी।
8. अनुपालन पर हलफनामा: नगर निगम अधिकारियों को एबीसी नियमों के अनुपालन का विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करना आवश्यक है।
9. अखिल भारतीय दायरा: सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक विस्तारित कर दिया है।
10. सख्त निगरानी और रिपोर्टिंग: नगर निगम अधिकारियों को आवारा कुत्तों का रिकॉर्ड रखना होगा और नियमित रूप से न्यायालय को प्रगति की रिपोर्ट देनी होगी।