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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर आवारा पशुओं की रोकथाम

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर आवारा पशुओं की मौजूदगी पर रोक लगाने का आदेश दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्यों को निर्देश दिया है कि वे आवारा पशुओं को तुरंत हटाएं। आदेश में अनुपालन, राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों की पुष्टि और कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही गई है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के सभी पहलुओं के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

आवारा पशुओं को लेकर SC का आदेश

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों के मामलों पर सुनवाई की। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने इस मामले पर विचार किया। अदालत ने हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर आवारा पशुओं की मौजूदगी पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

जस्टिस नाथ ने बताया कि यह आदेश तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा अनुपालन से संबंधित है। एमिकस रिपोर्ट की सामग्री को हमारे आदेश का अभिन्न हिस्सा माना जाएगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अगली सुनवाई से पहले एक विस्तृत हलफनामा पेश करना होगा, जिसमें रिपोर्ट में बताई गई समस्याओं को हल करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख होगा। किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।

आदेश में क्या निर्देश दिए गए?

जस्टिस नाथ ने कहा कि दूसरा आदेश राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों से संबंधित है। यह निर्देश सभी राज्यों के नोडल अधिकारियों को राष्ट्रीय राजमार्गों से आवारा पशुओं को हटाने के लिए सुनिश्चित करने के लिए है। सभी जानवरों, जिनमें मवेशी भी शामिल हैं, को तुरंत हटाने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाया जाएगा।

उन्होंने अपने आदेश में यह भी कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को इस आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। स्थिति की जानकारी 8 सप्ताह में प्रस्तुत की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने तीसरे निर्देश में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।