×

सीबीआई अदालत ने पूर्व स्टेशन मास्टर को रिश्वत मामले में बरी किया

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2009 के रिश्वत मामले में पूर्व स्टेशन मास्टर रामकरण पंचूराम मीणा को बरी कर दिया है। अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों को असंतोषजनक पाया और शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के कारण।
 

रिश्वत के मामले में बरी होने की खबर

ठाणे जिले, महाराष्ट्र में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने 2009 में हुए एक रिश्वत मामले में एक पूर्व स्टेशन मास्टर को बरी कर दिया है।


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सूर्यकांत एस शिंदे ने 9 जून को दिए गए अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष रामकरण पंचूराम मीणा के खिलाफ किसी भी आरोप को साबित करने में असफल रहा है, जिन पर फल विक्रेता से रिश्वत मांगने का आरोप था।


इस आदेश की एक प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई।


अभियोजन पक्ष के अनुसार, विक्रेता सोनू राशिद राईन ने आरोप लगाया था कि 13 जून 2009 को दिवा रेलवे स्टेशन के मास्टर मीणा ने उसे ठाणे जिले में ट्रेनों और स्टेशन परिसर में फल बेचने की अनुमति देने के लिए 1,000 रुपये प्रति माह और पिछले महीनों के लिए अतिरिक्त 5,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी।


सीबीआई ने उसी दिन दावा किया कि उन्होंने मीणा को 2,500 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। विक्रेता की शिकायत के आधार पर मीणा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपित किया गया।


अभियोजन पक्ष का मामला शिकायतकर्ता और एक गवाह की गवाही और वॉयस रिकॉर्डिंग के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर आधारित था। हालांकि, अदालत ने पाया कि प्राथमिक सबूत शिकायतकर्ता की मौखिक गवाही थी।


न्यायाधीश ने शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा, 'शिकायतकर्ता आरोपी के खिलाफ रंजिश रखता था, इसलिए आरोपी को झूठे मामले में फंसाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।'