सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया स्वागत
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय का स्वागत किया, जिसमें अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को स्थगित किया गया। उन्होंने पर्वतमाला के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई और खनन पर जारी प्रतिबंध की जानकारी दी। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस फैसले का समर्थन किया, यह कहते हुए कि जनता की आवाज को समझना आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में एक नई विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया है, जिससे इस मुद्दे पर और गहराई से विचार किया जा सके।
Dec 29, 2025, 15:40 IST
सर्वोच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का स्वागत किया, जिसमें 20 नवंबर को दिए गए अपने पूर्व आदेश को स्थगित कर दिया गया था। इस आदेश में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की परिभाषा को स्वीकार किया गया था। यादव ने पर्वतमाला के संरक्षण और पुनर्स्थापन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने एक पोस्ट में कहा कि मैं सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का स्वागत करता हूं, जिसमें अरावली पर्वतमाला से संबंधित आदेश पर रोक लगाने और एक नई समिति के गठन का उल्लेख है। हम अरावली पर्वतमाला के संरक्षण में हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
खनन पर प्रतिबंध जारी
भूपेंद्र यादव ने आगे बताया कि वर्तमान में नए खनन पट्टों या पुराने पट्टों के नवीनीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया। गहलोत ने कहा कि हमें खुशी है कि सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि सरकार जनता की इच्छाओं को समझेगी। चारों राज्यों की जनता और पूरे देश ने इस आंदोलन में भाग लिया है, सड़कों पर उतरे हैं और विभिन्न तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया है। यह समझ से परे है कि मंत्री जी इसे क्यों नहीं समझ पा रहे हैं।
नई समिति का गठन
सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमाला की केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की परिभाषा को स्वीकार करने के अपने पूर्व निर्णय को स्थगित कर दिया है। नवंबर में इस परिभाषा के स्वीकार होने से अरावली क्षेत्र का अधिकांश भाग विनियमित खनन गतिविधियों के लिए संभावित रूप से खुल गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी तथा ए.जी. मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने इस संदर्भ में एक नई विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार और अरावली के चारों राज्यों - राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा को भी नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।