सर्दियों में हाई बीपी के मरीजों के लिए स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है
सर्दियों में हाई बीपी के मरीजों को सावधानी बरतने की आवश्यकता
हाई बीपी मरीजों में स्ट्रोक का रिस्क
यदि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो सर्दियों में अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। ठंड के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं, और इसका एक प्रमुख कारण हाई बीपी होता है। सर्दियों में शरीर गर्म रहने की कोशिश करता है, जिससे रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे हाई बीपी के मरीजों का रक्तचाप और बढ़ सकता है, जो मस्तिष्क पर असर डालता है और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसलिए, इस मौसम में सावधानी बरतना जरूरी है।
सर्दियों में स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ता है?
मैक्स हॉस्पिटल साकेत के न्यूरोसर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. दलजीत सिंह के अनुसार, सर्दियों में हार्ट अटैक की तरह ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी बढ़ते हैं। यह तब होता है जब हाई बीपी के कारण मस्तिष्क की कोई नस फट जाती है, जिसे हेमरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है। कई मरीजों में मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती, जिससे इस्केमिक स्ट्रोक होता है। इस मौसम में हाई बीपी के मरीजों को स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। जिनका बीपी दवा से भी नियंत्रित नहीं होता, उन्हें भी जोखिम होता है। इसलिए, इस मौसम में हाई बीपी के मरीजों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
लोग स्ट्रोक के लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं
डॉ. सिंह बताते हैं कि स्ट्रोक आने से पहले कई लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन लोग इन्हें अनदेखा कर देते हैं। यदि समय पर इन लक्षणों को पहचाना जाए, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। स्ट्रोक के लक्षणों में शामिल हैं:
सिर में अचानक तेज दर्द
हाथ या पैर में अचानक कमजोरी
शरीर में सुन्नपन
आंखों से धुंधला दिखना
संतुलन बिगड़ना या चक्कर आना
डॉ. सिंह के अनुसार, अधिकांश मामलों में ब्रेन स्ट्रोक आने से पहले यही लक्षण दिखाई देते हैं। आमतौर पर 50 वर्ष की उम्र के बाद स्ट्रोक के मामले बढ़ते हैं, लेकिन इससे पहले भी हो सकते हैं। जिन लोगों का बीपी उच्च रहता है, उन्हें इसका जोखिम अधिक होता है, खासकर सर्दियों में।
सर्दियों में बचाव के उपाय
रोजाना बीपी की जांच करें।
दवाएं समय पर लें।
सुबह अचानक बाहर न निकलें।
पर्याप्त पानी पिएं।
शराब और धूम्रपान से दूर रहें।
दिन में 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन न करें।