सर्दियों में उच्च रक्तचाप: कारण और नियंत्रण के उपाय
ब्लड प्रेशर का महत्व
नई दिल्ली: रक्तचाप वह बल है जो रक्त हमारे रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर डालता है। इसे दो मापों में मापा जाता है: सिस्टोलिक (जब दिल धड़कता है) और डायस्टोलिक (जब दिल आराम की स्थिति में होता है)। जब ये माप लगातार उच्च रहते हैं, जैसे सिस्टोलिक 140 mmHg या उससे अधिक और डायस्टोलिक 90 mmHg या उससे अधिक, तो इसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहा जाता है। यह स्थिति दिल और रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव डालती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है.
सर्दियों में रक्तचाप का बढ़ना
रक्तचाप एक स्थिर संख्या नहीं है। यह उम्र, आहार, जीवनशैली और मौसम जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। शोध से पता चला है कि ठंड के मौसम में सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों रक्तचाप में वृद्धि होती है, जबकि गर्मियों में ये सामान्यतः कम होते हैं.
ठंड में रक्तचाप बढ़ने के कारण
सर्दियों में, शरीर गर्मी बनाए रखने के लिए रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है, जिसे वासोकॉन्स्ट्रिक्शन कहा जाता है। जब रक्त वाहिकाएं संकरी होती हैं, तो रक्त को अधिक दबाव से पंप करना पड़ता है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। इसके अलावा, ठंड शरीर के तनाव प्रतिक्रिया तंत्र को सक्रिय कर देती है, जिससे एड्रेनालिन और नॉरएड्रेनालिन जैसे हार्मोन का स्राव होता है, जो दिल की धड़कन और रक्तचाप दोनों को बढ़ाते हैं.
सर्दियों में रक्तचाप को नियंत्रित करने के उपाय
कुछ साधारण घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। यहां कुछ सरल उपाय दिए गए हैं:
• लहसुन, मेथी और फ्लैक्ससीड का सेवन करें।
• हर सुबह गर्म पानी पिएं।
• तुलसी और अदरक की चाय रक्त संचार में सुधार करती है।
• कम नमक वाला आहार और हल्की व्यायाम करें।
ये उपाय नसों को आराम देते हैं, रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और दिल पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव को कम करते हैं। विशेष रूप से सर्दियों में इन उपायों को अपनाने से रक्तचाप बढ़ने की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है। इस प्रकार, मौसम और आहार का ध्यान रखते हुए हम रक्तचाप को सुरक्षित स्तर पर बनाए रख सकते हैं और दिल को अतिरिक्त बोझ से बचा सकते हैं.