सरकार ने साइबर ठगी रोकने के लिए FRI का किया उपयोग, 660 करोड़ की बचत
साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाएं
साइबर फ्रॉड
हाल के दिनों में देश में साइबर ठगी के कई गंभीर मामले सामने आए हैं। ठगों ने न केवल आम नागरिकों को बल्कि उच्च अधिकारियों और पत्रकारों को भी अपने जाल में फंसाया है, जिससे उनकी जमा पूंजी ठग ली गई। इन घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (FRI) का सहारा लिया है। इस प्रणाली के माध्यम से, सरकार ने पिछले छह महीनों में 660 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड से होने वाले नुकसान को रोकने में सफलता प्राप्त की है। संचार मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी साझा की है।
FRI का महत्व
संचार मंत्रालय के अनुसार, 1000 से अधिक बैंक, थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन प्रोवाइडर और पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (PSOs) डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) से जुड़े हुए हैं। FRI को सक्रिय रूप से अपनाया जा रहा है, और इसे भारतीय रिज़र्व बैंक और नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया का समर्थन प्राप्त है। इससे कई बैंक और वित्तीय संस्थान जुड़ रहे हैं।
FRI क्या है?
फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर की परिभाषा
FRI एक रिस्क-बेस्ड मेट्रिक है, जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के जोखिम के आधार पर वर्गीकृत करता है। यह वर्गीकरण भारतीय साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के राष्ट्रीय साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) और अन्य संबंधित स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।
कैसे काम करता है एडवांस नोटिफिकेशन?
डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट की भूमिका
डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) नियमित रूप से उन मोबाइल नंबरों की सूची साझा करती है जिन्हें डिस्कनेक्ट किया गया है। यह सूची उन नंबरों के कारणों को भी बताती है, जैसे कि साइबर क्राइम में शामिल होना या री-वेरिफिकेशन में असफल होना। ऐसे नंबर आमतौर पर वित्तीय धोखाधड़ी में उपयोग किए जाते हैं।
PhonePe का योगदान
PhonePe ने FRI का कैसे किया उपयोग?
PhonePe ने FRI का उपयोग करते हुए उन मोबाइल नंबरों से जुड़े लेन-देन को अस्वीकार करने का निर्णय लिया है, जिनका जोखिम स्तर उच्च है। इसके अलावा, यह उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देने के लिए भी काम कर रहा है। संचार मंत्रालय ने नागरिकों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें और नागरिक-केंद्रित सेवाओं का लाभ उठाएं।