सरकार का बड़ा ऐलान: पहली बार लोन लेने वालों के लिए CIBIL स्कोर की अनिवार्यता खत्म
नई दिल्ली में लोन लेने की नई नीति
नई दिल्ली. यदि आप पहली बार बैंक से लोन लेने की योजना बना रहे हैं और आपका CIBIL स्कोर या तो नहीं है या बहुत कम है, तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहली बार लोन लेने वालों के लिए न्यूनतम CIBIL स्कोर की आवश्यकता नहीं होगी।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा के मानसून सत्र में बताया कि रिज़र्व बैंक की गाइडलाइंस के अनुसार, बैंकों को केवल क्रेडिट इतिहास के अभाव में लोन अस्वीकृत करने की अनुमति नहीं है। आरबीआई ने 6 जनवरी 2025 को जारी मास्टर डायरेक्शन में बैंकों को सलाह दी है कि पहली बार लोन के लिए आवेदन करने वालों की फाइल केवल इस आधार पर खारिज नहीं की जानी चाहिए कि उनके पास कोई क्रेडिट रिकॉर्ड नहीं है।
CIBIL स्कोर क्या है?
CIBIL स्कोर एक तीन अंकों की संख्या होती है, जो 300 से 900 के बीच होती है। यह स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिटवर्थिनेस यानी लोन चुकाने की क्षमता का आकलन करता है। यह रिपोर्ट क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड द्वारा तैयार की जाती है और आमतौर पर बैंकों द्वारा पर्सनल, होम, गोल्ड और अन्य लोन की पात्रता तय करने में इस्तेमाल की जाती है।
लोन मिलेगा, लेकिन जांच जरूरी
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि पहली बार लोन लेने वालों के लिए CIBIL स्कोर अनिवार्य नहीं है, लेकिन बैंकों को अपनी ड्यू डिलिजेंस (सावधानीपूर्वक जांच) करनी होगी। इसमें आवेदक के वित्तीय व्यवहार, पिछले किस्तों का रिकॉर्ड, यदि कोई लोन सेटल या री-स्ट्रक्चर हुआ है, देरी से भुगतान या लिखे गए ऋण जैसे पहलुओं को देखना शामिल होगा।
क्रेडिट रिपोर्ट की कीमत
चौधरी ने बताया कि क्रेडिट रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियां (CICs) अधिकतम ₹100 तक शुल्क ले सकती हैं। इससे अधिक वसूली करना नियमों के खिलाफ होगा। इसके अलावा, RBI ने 1 सितंबर 2016 के सर्कुलर में स्पष्ट किया है कि हर व्यक्ति को साल में एक बार मुफ्त में फुल क्रेडिट रिपोर्ट और CIBIL स्कोर ईमेल के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।
नतीजा
सरकार के इस ऐलान से लाखों नए ग्राहकों को राहत मिलेगी, जिन्हें पहली बार लोन लेने में अक्सर कठिनाई होती थी। अब बैंक केवल CIBIL स्कोर पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि आवेदक की अन्य जानकारियों के आधार पर निर्णय लेंगे। यह कदम न केवल नए उधारकर्ताओं को अवसर देगा, बल्कि भारत के क्रेडिट बाजार को और मजबूत बनाने में भी सहायक होगा।