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सऊदी अरब में भारतीयों का निर्वासन: 2025 के आंकड़े चौंकाने वाले

2025 में सऊदी अरब से भारतीय नागरिकों के निर्वासन के आंकड़े ने कई धारणाओं को तोड़ा है। जबकि अमेरिका से भी भारतीयों का निर्वासन हुआ, सऊदी अरब ने इस मामले में सबसे अधिक संख्या दर्ज की। जानें इसके पीछे के कारण और अन्य देशों से भारतीयों के लौटने की स्थिति के बारे में।
 

भारतीय नागरिकों के निर्वासन के नए आंकड़े

सऊदी अरब
2025 में भारतीय नागरिकों के निर्वासन से संबंधित हालिया आंकड़े आम धारणा को चुनौती देते हैं। जबकि कई लोग मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से सबसे अधिक भारतीयों को वापस भेजा गया, विदेश मंत्रालय (MEA) के नवीनतम आंकड़े एक अलग कहानी बयां करते हैं। MEA के अनुसार, 2025 में सबसे अधिक भारतीयों का निर्वासन सऊदी अरब से हुआ, जहां लगभग 11,000 भारतीयों को वापस भेजा गया। इनमें से अधिकांश श्रमिक और निजी क्षेत्र के कर्मचारी थे, जिन्हें वीजा उल्लंघन, अवैध प्रवास, ओवरस्टे या स्थानीय कानूनों के उल्लंघन के कारण डिपोर्ट किया गया। इसके विपरीत, अमेरिका से 2025 में 3,800 भारतीयों का निर्वासन हुआ, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है, लेकिन सऊदी अरब के आंकड़ों की तुलना में काफी कम है।

इनमें से अधिकांश कार्रवाई वाशिंगटन डीसी और ह्यूस्टन से की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान दस्तावेजों की कड़ी जांच और वर्क ऑथराइजेशन पर सख्ती इसका मुख्य कारण है। MEA के अनुसार, खाड़ी देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या के कारण निर्वासन के मामले अधिक होते हैं। सऊदी अरब के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (1,469) और बहरीन (764) से भी बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस भेजा गया। सामान्य कारणों में बिना वैध परमिट काम करना, नियोक्ता से भागना, श्रम कानूनों का उल्लंघन और आपराधिक मामलों में फंसना शामिल हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्वासन का पैटर्न अलग दिखता है। म्यांमार (1,591) और मलेशिया (1,485) के साथ थाईलैंड (481) और कंबोडिया (305) से भी भारतीयों को डिपोर्ट किया गया।

तेलंगाना सरकार की एनआरआई सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष भीमा रेड्डी के अनुसार, इन देशों में कई भारतीयों को ऊंची तनख्वाह का लालच देकर बुलाया जाता है और बाद में अवैध साइबर गतिविधियों में जबरन काम कराया जाता है, जिसे “साइबर स्लेवरी” कहा जाता है। 2025 में भारतीय छात्रों के निर्वासन के मामलों में यूनाइटेड किंगडम शीर्ष पर रहा, जहां से 170 छात्रों को वापस भेजा गया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया (114), रूस (82) और अमेरिका (45) का स्थान रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि एजेंटों की धोखाधड़ी, स्थानीय कानूनों की अनभिज्ञता, वीजा नियमों का उल्लंघन और अतिरिक्त कमाई की कोशिश में किए गए छोटे अपराध भारतीयों के लिए विदेश में बड़ी मुसीबत बन रहे हैं।