सऊदी अरब और यूएई के बीच तनाव: यमन में सुरक्षा बलों की वापसी
सऊदी अरब का यूएई पर हमला
रियाद
अरब के दो मुस्लिम देशों के बीच अचानक शुरू हुई लड़ाई ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। जब सऊदी अरब ने यमन में यूएई द्वारा भेजे गए हथियारों से भरे जहाजों पर हमला किया, तो यह सभी के लिए चौंकाने वाला था। इस हमले के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप यूएई ने अपने कदम पीछे खींचने का निर्णय लिया। सऊदी अरब ने यह बमबारी यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर की, यह आरोप लगाते हुए कि यूएई ने वहां एक बड़ा हथियारों का जखीरा भेजा था, जिसका उपयोग अलगाववादी कर सकते थे।
सऊदी अरब के कड़े विरोध और हमलों के बाद, यूएई ने घोषणा की है कि वह यमन से अपने सुरक्षा बलों को वापस बुलाएगा। यूएई पर आरोप है कि उसके सुरक्षा बल अलगाववादियों का समर्थन कर रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएई के दो जहाज यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर पहुंचे थे, जिनमें 80 वाहन और हथियारों से भरे कंटेनर थे। इसके अलावा, विस्फोटक भी मौजूद थे। यह सारा सामान सऊदी अरब की जानकारी के बिना पहुंचा था और अलगाववादियों के हाथ लगने वाला था। इस स्थिति ने सऊदी अरब को भड़का दिया और उसने हमले किए। अब, यूएई ने अपने सुरक्षा बलों को वापस बुलाने की बात कही है।
यमन में यूएई के सुरक्षा बल पहले से ही आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सक्रिय थे। सऊदी अरब का आरोप है कि यूएई अलगाववादियों को समर्थन दे रहा था। सऊदी अरब ने यह भी कहा कि यूएई की ओर से अलगाववादियों, विशेषकर सदर्न ट्रांजिशन काउंसिल (STC), को हथियारों की आपूर्ति की जा रही थी। यमन की आधिकारिक सरकार भी यूएई के खिलाफ खड़ी हो गई है और कहा है कि जो अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें 24 घंटे के भीतर यमन छोड़ देना चाहिए। अंततः, यूएई को झुकना पड़ा है।