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श्रीकाकुलम का वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर: तिरुपति से कैसे है भिन्न?

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में स्थित वेंकटेश्वर मंदिर और श्रीकाकुलम का वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, दोनों ही अपनी मान्यताओं और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। तिरुपति का मंदिर भगवान वेंकटेश्वर का ऐतिहासिक निवास है, जबकि श्रीकाकुलम का मंदिर एक भक्त द्वारा तिरुमाला के मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। जानें इन दोनों मंदिरों की अनोखी कहानियाँ और मान्यताएँ, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं।
 

वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का परिचय

वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर

आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित वेंकटेश्वर मंदिर भारत के प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे तिरुपति मंदिर और सात पहाड़ियों वाला मंदिर भी कहा जाता है। इसी प्रकार का एक अन्य वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर श्रीकाकुलम जिले में भी है। हालांकि, तिरुपति और श्रीकाकुलम के वेंकटेश्वर मंदिर अपनी मान्यताओं के कारण एक-दूसरे से भिन्न हैं। इस लेख में हम इन दोनों मंदिरों के बारे में जानकारी साझा करेंगे।


तिरुपति और श्रीकाकुलम के वेंकटेश्वर मंदिर

तिरुमाला में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर भगवान वेंकटेश्वर का प्राचीन मंदिर है, जबकि श्रीकाकुलम का मंदिर एक आधुनिक प्रतिरूप है। तिरुमाला का मंदिर आंध्र प्रदेश की पहाड़ियों में स्थित है और इसे भगवान वेंकटेश्वर का ऐतिहासिक निवास माना जाता है। वहीं, श्रीकाकुलम का मंदिर एक भक्त द्वारा तिरुमाला के मंदिर की वास्तुकला और पूजा पद्धति के अनुसार बनाया गया है।


वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की मान्यता

श्रीकाकुलम के काशीबुग्गा में स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है। भक्त यहां आकर उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, विशेषकर कार्तिक मास में इस मंदिर की मान्यता और भी बढ़ जाती है। इसे इच्छा पूरी करने वाला मंदिर भी माना जाता है।


निर्माण की कहानी

कहा जाता है कि वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का निर्माण नारायणदासु नामक एक भक्त ने करवाया था, जिन्होंने सपने में इस मंदिर को पहाड़ पर देखा था। इस प्रेरणा से उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के सामने गरुत्मतु की एक विशाल मूर्ति है, जो भारत में स्थापित सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक मानी जाती है। कार्तिक मास में भक्त दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आते हैं।