शिवसेना का मोदी के जन्मदिन पर कटाक्ष: बेरोजगारी और गरीबी पर सवाल उठाए
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर कटाक्ष करते हुए देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी पर सवाल उठाए हैं। संपादकीय में मोदी के 11 वर्षों के कार्यकाल की आलोचना की गई है और यह कहा गया है कि केंद्र सरकार हर महीने 80 करोड़ लोगों को राशन बांट रही है, जो गरीबी की गंभीरता को दर्शाता है। विपक्ष ने मोदी के जन्मदिन को 'बेरोजगारी दिवस' के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा दिए गए रोजगार के वादे अधूरे हैं।
Sep 17, 2025, 12:23 IST
शिवसेना का संपादकीय
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर कटाक्ष करते हुए देशभर में मनाए जा रहे जश्न पर सवाल उठाए हैं। संपादकीय में देश में बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की गई है। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी अब 75 वर्ष के हो गए हैं। भाजपा के सदस्य उनके जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं, लेकिन क्या देश में ऐसा माहौल है कि लोग इस अवसर को मनाएं और मोदी शुभकामनाएँ स्वीकार करें?
संपादकीय में उठाए गए मुद्दे
'सामना' में यह भी कहा गया है कि मोदी पिछले 11 वर्षों से देश के प्रधानमंत्री हैं। संपादकीय में यह सवाल उठाया गया है कि इन वर्षों में उन्होंने देश को क्या दिया है। आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार हर महीने 80 करोड़ लोगों को राशन बांट रही है, जो यह दर्शाता है कि एक बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। संपादकीय में यह भी उल्लेख किया गया है कि मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए 80 करोड़ लोगों को हर महीने 10 किलो मुफ्त अनाज दिया है, और वे इस पर अपनी प्रशंसा करते रहते हैं। यह स्थिति भारत जैसे देश के लिए गर्व की बात नहीं है।
विपक्ष का विरोध
अखबार ने बताया कि विपक्ष मोदी के जन्मदिन को 'बेरोजगारी दिवस' के रूप में मनाने की योजना बना रहा है। संपादकीय में प्रधानमंत्री द्वारा हर वर्ष दो करोड़ नौकरियों के वादे का जिक्र करते हुए कहा गया है कि केंद्र ने पिछले 10 वर्षों में 10 लाख नौकरियों का भी सृजन नहीं किया है। विपक्षी दलों ने सुझाव दिया है कि मोदी के जन्मदिन को 'बेरोजगारी दिवस' के रूप में मनाया जाना चाहिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका 'आत्मनिर्भर' भारत का नारा खोखला साबित हुआ है।