शिवलिंग पूजा के नियम: घर में स्थापित करने के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश
शिवलिंग पूजा के नियम
देवों के देव महादेव का आशीर्वाद पाने के लिए कई भक्त अपने घरों में शिवलिंग की स्थापना करते हैं। यह माना जाता है कि घर में शिवलिंग रखने से सुख और समृद्धि आती है, साथ ही सभी बाधाएं दूर होती हैं। शास्त्रों और वास्तु शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग की स्थापना के लिए कुछ आवश्यक नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। यदि इन नियमों की अनदेखी की जाती है, तो शुभ फल के बजाय कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं घर में शिवलिंग स्थापित करने के महत्वपूर्ण नियम, जो हर शिव भक्त के लिए जानना आवश्यक हैं।
शिवलिंग का आकार: अंगूठे के पोर से बड़ा नहीं
घर में कभी भी बड़े आकार का शिवलिंग स्थापित नहीं करना चाहिए।
नियम: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर में रखा जाने वाला शिवलिंग हमारे हाथ के अंगूठे के ऊपर वाले पोर से बड़ा नहीं होना चाहिए।
कारण: बड़े शिवलिंग की ऊर्जा को नियंत्रित करना और उनकी नियमित पूजा करना घर में कठिन होता है, जबकि मंदिर में यह संभव है।
उत्तम शिवलिंग: पारद या नर्मदा नदी के पत्थर से बना शिवलिंग घर के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
दिशा और स्थान: ईशान कोण में करें स्थापित
शिवलिंग की स्थापना की दिशा और स्थान का विशेष महत्व है।
दिशा: शिवलिंग को हमेशा घर के उत्तर-पूर्वी कोने (ईशान कोण) में स्थापित करना चाहिए। यह दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
जलधारी: शिवलिंग की जलधारी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। जलधारी को कभी लांघना नहीं चाहिए।
स्थान की पवित्रता: शिवलिंग को केवल पूजा स्थान पर रखना चाहिए। इसे बेडरूम, रसोई या अन्य अपवित्र स्थानों पर नहीं रखना चाहिए।
ये गलतियां भूलकर भी न करें?
एक से अधिक शिवलिंग: घर के पूजा स्थल में एक से अधिक शिवलिंग स्थापित नहीं करने चाहिए।
प्राण प्रतिष्ठा: घर में स्थापित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं करवानी चाहिए। यह मंदिरों और बड़े अनुष्ठानों के लिए होती है।
टूटा शिवलिंग: घर में खंडित या टूटा हुआ शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। इसे तुरंत बहते जल में प्रवाहित कर दें।
हल्दी या सिंदूर: शिवलिंग पर हल्दी या सिंदूर का तिलक नहीं लगाना चाहिए। केवल चंदन का तिलक अर्पित करना चाहिए।