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शिमला में 12 वर्षीय लड़के की आत्महत्या: जातिगत भेदभाव का मामला

शिमला जिले में एक 12 वर्षीय लड़के ने ऊंची जाति के लोगों द्वारा परेशान किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। लड़के के पिता ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे को प्रताड़ित किया गया था। दलित शोषण मुक्ति मंच ने पुलिस से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया।
 

घटना का विवरण

शिमला जिले के एक गांव में एक 12 वर्षीय लड़के ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जब ऊंची जाति के कुछ लोगों ने उसके घर में घुसकर उसे परेशान किया। अधिकारियों ने बुधवार को इस घटना की जानकारी दी।


लड़के के पिता ने बताया कि 16 सितंबर की शाम को उन्होंने अपने बेटे को बिस्तर पर बेहोश पाया।


इलाज और मौत

पिता ने अपने बेटे को रोहड़ू के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां से उसे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) भेजा गया। इलाज के दौरान लड़के की मृत्यु हो गई।


डॉक्टरों ने बताया कि लड़के ने जहरीला पदार्थ खा लिया था।


परेशानी का कारण

लड़के की मां ने बताया कि ऊंची जाति की तीन महिलाओं ने उसके बेटे को खेलते समय परेशान किया और उसे गौशाला में बंद कर दिया।


पिता ने आरोप लगाया कि महिलाओं ने कहा कि उनके बेटे ने उनके घर को अपवित्र किया है और सज़ा के तौर पर एक बकरी की मांग की।


पुलिस कार्रवाई

पिता के अनुसार, इस प्रताड़ना के कारण लड़के ने जहरीला पदार्थ खा लिया, जिससे उसकी मृत्यु हुई।


अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने आरोपी महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है, जिन्हें स्थानीय अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई है।


इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है।


डीएसएमएम की प्रतिक्रिया

दलित शोषण मुक्ति मंच (डीएसएमएम) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और पुलिस से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है।


डीएसएमएम ने चेतावनी दी है कि यदि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो वे जन आंदोलन शुरू करेंगे।