शारदा विश्वविद्यालय में बीडीएस छात्रा की आत्महत्या: चार प्रोफेसर निलंबित
शारदा विश्वविद्यालय में आत्महत्या की घटना की जांच जारी
शारदा विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि शुक्रवार को एक बीडीएस छात्रा द्वारा अपने छात्रावास के कमरे में आत्महत्या करने की घटना की जांच चल रही है। जनसंपर्क निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने इस घटना की निंदा करते हुए जांच में पूर्ण पारदर्शिता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "जांच प्रक्रिया जारी है।"
निलंबित किए गए चार प्रोफेसर
ग्रेटर नोएडा स्थित इस विश्वविद्यालय में बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा ज्योति शर्मा की आत्महत्या के मामले में डीन और तीन अन्य प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की। डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि डीन डॉ. एम सिद्धार्थ, प्रोफेसर डॉ. अनुराग अवस्थी, सहायक प्रोफेसर डॉ. सुरभी और प्रोफेसर डॉ. आशीष चौधरी को निलंबित किया गया है। इन सभी को प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
ज्योति शर्मा की आत्महत्या का मामला
नॉलेज पार्क थाना क्षेत्र में स्थित शारदा विश्वविद्यालय में, ज्योति शर्मा ने 18 जुलाई को छात्रावास के कमरे में पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद, डीन समेत सात लोगों के खिलाफ छात्रा को प्रताड़ित करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। दो प्रोफेसरों, शैरी वशिष्ठ और महेंद्र सिंह चौहान को गिरफ्तार किया गया था। विश्वविद्यालय ने जांच समिति का गठन किया था, जिसने पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने का आश्वासन दिया था।
जांच प्रक्रिया और विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
जनसंपर्क निदेशक ने बताया कि सोमवार को जांच समिति के समक्ष संबंधित प्रोफेसर, वार्डन, सुरक्षाकर्मी और छात्रों के बयान दर्ज किए गए। पुलिस ने भी हॉस्टल के वार्डन और अन्य प्रोफेसरों से पूछताछ की है। अधिकारियों ने बताया कि बीडीएस विभाग को सील कर दिया गया है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इसे खोला जाएगा। आत्महत्या के बाद उत्पन्न विवाद के कारण विश्वविद्यालय में सोमवार और मंगलवार को होने वाली परीक्षाएं और कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं।
कक्षाओं का पुनः आरंभ
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 23 जुलाई से कक्षाएं फिर से शुरू करने और परीक्षाएं आयोजित करने की योजना बनाई है। इस बीच, छात्रा की आत्महत्या के मामले में सोमवार को अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र संगठनों ने जिलाधिकारी कार्यालय के परिसर में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें आरोपी प्रोफेसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।