शशि थरूर ने आडवाणी की राजनीतिक विरासत का किया बचाव, आलोचकों को दिया जवाब
थरूर का आडवाणी के प्रति सम्मान
एलके आडवाणी और शशि थरूर
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अपने बयान से चर्चा में आ गए हैं। इस बार उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की राजनीतिक विरासत की रक्षा करते हुए कहा कि उनकी दशकों की जनसेवा का मूल्यांकन किसी एक घटना के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए, जैसे कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के मामले में।
आडवाणी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के बाद थरूर ने कहा कि उनके लंबे सार्वजनिक जीवन को एक घटना तक सीमित करना अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू और इंदिरा गांधी के पूरे राजनीतिक जीवन का मूल्यांकन केवल एक घटना से नहीं किया जा सकता, इसलिए हमें आडवाणी जी के प्रति भी यही सम्मान दिखाना चाहिए।
आडवाणी को जन्मदिन की बधाई
थरूर ने आडवाणी को दी जन्मदिन की बधाई
थरूर ने शनिवार को आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘आदरणीय श्री लालकृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। उनकी जनसेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और आधुनिक भारत की दिशा में उनकी भूमिका अमिट है।’
आलोचना का सामना
आडवाणी की प्रशंसा पर थरूर की आलोचना
आडवाणी के लिए थरूर की प्रशंसा पर कई लोगों ने आलोचना की। आलोचकों ने थरूर पर आरोप लगाया कि वे बीजेपी के दिग्गज की विभाजनकारी राजनीति को छिपा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के वकील संजय हेगड़े ने थरूर के पोस्ट का जवाब देते हुए लिखा कि ‘इस देश में घृणा के बीज फैलाना जनसेवा नहीं है।’
थरूर का बचाव
थरूर ने किया आडवाणी की विरासत का बचाव
थरूर ने आडवाणी की विरासत का बचाव करते हुए कहा कि उनकी लंबी सेवा को एक घटना तक सीमित करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि नेहरू और इंदिरा गांधी के करियर का मूल्यांकन भी केवल एक घटना से नहीं किया जा सकता।
रथ यात्रा का संदर्भ
‘रथ यात्रा कोई एक घटना नहीं थी…’
हेगड़े ने जवाब दिया कि रथ यात्रा केवल एक घटना नहीं थी, बल्कि यह भारतीय गणराज्य के मूल सिद्धांतों को उलटने की एक लंबी यात्रा थी। उन्होंने कहा कि यह 2002 और 2014 के लिए मंच तैयार करने वाली घटना थी।
आडवाणी का योगदान
रथयात्रा के जरिए राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व
आडवाणी को इस साल भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 1990 में रथ यात्रा के माध्यम से राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसे बाबरी मस्जिद विध्वंस की प्रस्तावना के रूप में देखा जाता है।