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शरद पूर्णिमा 2025: उपाय और महत्व

शरद पूर्णिमा 2025 का पर्व विशेष महत्व रखता है, जिसमें देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन चाँद अपनी पूर्णता में होता है और भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देता है। जानें इस रात के विशेष उपाय और पूजा विधि, जो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
 

शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूर्णिमा 2025 का ज्योतिष उपाय


शरद पूर्णिमा का महत्व: आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस वर्ष सोमवार को शरद पूर्णिमा और कोजागिरी पूजा के साथ मेल खाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। यह रात अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक प्रभाव से भरी मानी जाती है। पूर्णिमा की रात चाँद अपनी पूर्णता में होता है और अमृत की वर्षा करता है। ज्योतिष के अनुसार, इस रात कुछ विशेष कार्य करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि आती है। आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात हमें क्या करना चाहिए।



शरद पूर्णिमा 2025 का पंचांग:
ड्रिक पंचांग के अनुसार, सोमवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से 12:32 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल भी इसी समय में होगा। चतुर्दशी तिथि 5 अक्टूबर को दोपहर 3:03 बजे शुरू होकर 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। इसके बाद पूर्णिमा का आरंभ होगा, और इसी के अनुसार शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। इस दिन वृिद्धि योग और ध्रुवा योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाते हैं।


चाँद की 16 कलाएँ:
शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा में से एक है। इस दिन चाँद अपनी 16 कलाओं में पूर्ण होता है, जो इसे विशेष बनाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण की 16 कलाएँ होती हैं, जबकि भगवान श्री राम की 12 कलाएँ मानी जाती हैं। इस दिन नवविवाहित महिलाएँ पूरे वर्ष की सभी पूर्णिमाओं का व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। गुजरात में इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।


शरद पूर्णिमा की रात ये कार्य करें:
नारद पुराण के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और घरों में प्रवेश करती हैं। इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, कनकाधारा स्तोत्र का पाठ और "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" का 108 बार जप करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। रातभर केसर से भरी खीर बनाकर उसे चाँद की रोशनी में रखने और प्रसाद के रूप में खाने से स्वास्थ्य और समृद्धि में लाभ होता है।


यदि किसी को वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ रही हैं, तो पति-पत्नी चाँद को दूध अर्पित कर चंद्र दोष के प्रभाव को कम कर सकते हैं। पीपल के पेड़ की पूजा करना और देवी लक्ष्मी के मंदिर में नारियल, मेवे और लाल दुपट्टा अर्पित करना इच्छाओं की पूर्ति करता है।



कोजागरी व्रत का विशेष महत्व:
कोजागरी व्रत पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में विशेष महत्व रखता है। इसे कोजागरी पूजा, बंगाली लक्ष्मी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस रात जागरूक रहने वाले भक्तों को देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, यह व्रत समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशी प्रदान करता है। भक्त इस रात देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं। इस दिन का विशेष योग भक्तों के लिए आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखता है। चाँद की पूजा और व्रत रखने से न केवल मन की शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आते हैं।


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