शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के महत्व और तेल चढ़ाने की परंपरा
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा
शनिवार के उपाय: हिन्दू धर्म में विभिन्न परंपराएँ और प्रथाएँ हैं, जिनमें सप्ताह के हर दिन अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रथा शनिदेव की पूजा है, जो भक्ति और आदर्श का प्रतीक मानी जाती है।
शनिवार का दिन शनिदेव की विशेष पूजा के लिए समर्पित है, और भक्त उनकी कृपा पाने के लिए उन्हें तेल अर्पित करते हैं। भक्तों का मानना है कि शनिदेव की कृपा से उनके घर में धन और समृद्धि का वास होता है। अब यह जानना जरूरी है कि शनिदेव और तेल के बीच क्या संबंध है।
शनिवार को तेल चढ़ाने की परंपरा का मुख्य उद्देश्य शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस पूजा में आमतौर पर सरसों का तेल इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि शनिदेव के साथ तेल का एक विशेष संबंध है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था, तब शनिदेव को उल्टा लटका दिया गया था। उस समय हनुमानजी राम के दूत बनकर लंका पहुंचे और रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी। इससे क्रोधित होकर हनुमानजी ने लंका को जला दिया, जिससे सभी ग्रह स्वतंत्र हो गए, लेकिन शनिदेव को काफी पीड़ा सहनी पड़ी।
हनुमानजी ने शनिदेव को तेल से मालिश करके उनके दर्द को दूर किया। शनिदेव ने हनुमानजी से वर मांगने को कहा, और हनुमानजी ने कहा कि कलयुग में जो भी उनकी आराधना करेगा, उसे कोई अशुभ फल नहीं मिलेगा। इसीलिए कहा जाता है, "और देवता चित न धरइ, हनुमत सेई सर्व सुख करइ"।
इसलिए, हर शनिवार को हनुमानजी की पूजा की जाती है और भक्त श्रद्धा के साथ शनिदेव को तेल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूर्ण भक्ति से शनिदेव को तेल अर्पित करता है, उसे सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।