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विपक्ष ने CEC ज्ञानेश कुमार को हटाने की योजना बनाई, शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी

विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को हटाने की योजना बनाई है, जिसके तहत शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही है। बिहार में हालिया हार के बाद, विपक्ष इस मुद्दे पर और अधिक आक्रामक रुख अपनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, उनके पास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन नहीं है, लेकिन वे अपने चार महत्वपूर्ण बिंदुओं को जनता के सामने रखना चाहते हैं। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की रणनीतियाँ और विपक्ष की एकजुटता की संभावनाएँ।
 

विपक्ष का नया मोर्चा

विपक्ष की CEC ज्ञानेश कुमार को हटाने की योजना

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मिलकर SIR लागू करके वोटों में धांधली की है। बिहार में हालिया हार के बाद, विपक्ष इस मुद्दे पर और अधिक आक्रामक रुख अपनाने की योजना बना रहा है। इसके लिए, वे इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों से बातचीत कर रहे हैं, ताकि संसद के शीतकालीन सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जा सके।

हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, विपक्ष के पास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन नहीं है। फिर भी, वे अपने आंकड़ों के आधार पर प्रस्ताव लाने की योजना बना रहे हैं। इस कदम के माध्यम से, कांग्रेस बिहार में हार के बाद इंडिया ब्लॉक में बिखराव की चिंताओं को दूर करना चाहती है, क्योंकि SIR और वोटों में धांधली के मुद्दे पर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, वामपंथी दल, शिवसेना और स्टालिन भी विपक्ष में हैं।

विपक्ष को यह पता है कि वे प्रस्ताव तो पेश कर सकते हैं, लेकिन उसे पारित नहीं करा सकते। फिर भी, इस प्रस्ताव के माध्यम से वे चार महत्वपूर्ण बिंदुओं को जनता के सामने रखना चाहते हैं।

  1. प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की चयन समिति में कानून के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश की जगह एक कैबिनेट मंत्री को रखा गया।
  2. एक नया कानून बनाया गया है, जिसके तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों को उनके आधिकारिक कार्यों के दौरान किए गए निर्णयों के लिए कानूनी सुरक्षा दी गई है। इसका मतलब है कि उनके खिलाफ कोई दीवानी या फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इसके अलावा, किसी आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना हटाया नहीं जा सकता।
  3. इस स्थिति में चुनाव आयोग खुलकर सत्ताधारी पक्ष के साथ मिलकर SIR प्रक्रिया में शामिल होता है, वोटर लिस्ट में धांधली करता है, और महज 45 दिन बाद सीसीटीवी फुटेज को नष्ट कर देता है। वहीं, विपक्ष के आरोपों को अनसुना कर देता है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।
  4. विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर चर्चा और मतदान होने पर उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, इंडिया ब्लॉक एकजुटता दिखा सकेगा, जिसमें आम आदमी पार्टी जैसे दल भी शामिल हो सकते हैं। इससे वे सत्ताधारी पक्ष और चुनाव आयुक्त को एक पाले में और पूरे विपक्ष को एक पाले में रखकर अपना नैरेटिव स्थापित कर सकेंगे।