विपक्ष का हंगामा: बिहार में मतदाता सूची पर विवाद और संसद में विधेयकों की पारित प्रक्रिया
विपक्ष का हंगामा और सरकार की प्रतिक्रिया
लोकसभा के मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्ष, जो कि भारत के इंडिया अलायंस का हिस्सा है, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित 'वोट चोरी' के मामलों को लेकर हंगामा कर रहा है। 11 अगस्त को, विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग तक एक मार्च निकाला, जिसके बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उनकी आलोचना की।
किरेन रिजिजू का बयान
किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर संसद का समय बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश को एक व्यक्ति की मूर्खता और एक परिवार के कारण इतना नुकसान सहना पड़ रहा है, जो असहनीय है। उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर इशारा किया और बताया कि कई विपक्षी सांसद अपने नेताओं के दबाव में हंगामा कर रहे हैं।
रिजिजू ने यह भी कहा कि सरकार अब महत्वपूर्ण विधेयकों को लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित कराने का प्रयास करेगी और देश का समय बर्बाद नहीं होने देगी। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग ने विपक्षी सांसदों को चर्चा के लिए बुलाया था, लेकिन वे इसमें भाग लेने से बच रहे हैं।
विपक्ष के मुद्दे
- विपक्षी सांसद अपनी बैठक में अपने नेता तय नहीं कर पाए।
- विपक्ष संसद और चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं करता।
- रिजिजू ने सवाल उठाया कि विपक्ष किसके इशारे पर देश की छवि को खराब करने का प्रयास कर रहा है।
- उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे अपनी जिम्मेदारी समझें और चर्चा में सक्रिय भाग लें।
महत्वपूर्ण विधेयकों की पारित प्रक्रिया
सरकार ने विपक्ष के हंगामे के बीच सोमवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित किया, जिनमें राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी संशोधन विधेयक, 2025 शामिल हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और हिरासत में लिए गए नेता
विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और 'वोट चोरी' के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकाला। इस दौरान, दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, और शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत समेत कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया।
राजनीतिक टकराव का उदाहरण
यह विवाद संसद में विपक्ष और सरकार के बीच बढ़ते राजनीतिक टकराव और कामकाज के दौरान जारी तनाव का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें विपक्षी हंगामा और सरकार के विधेयक पारित कराने के प्रयास आमने-सामने आ रहे हैं।