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विनायक चतुर्थी 2025: सही तिथि और पूजा विधि जानें

विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि और पूजा विधि के बारे में जानें। इस साल की अंतिम विनायक चतुर्थी 24 दिसंबर को मनाई जाएगी। जानें इस दिन की विशेष पूजा विधि और धार्मिक महत्व, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।
 

विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि

विनायक चतुर्थी 2025Image Credit source: AI


विनायक चतुर्थी 2025 की तिथि: दिसंबर का महीना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी महीने साल की अंतिम विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। भक्तों के बीच यह चर्चा है कि यह तिथि 23 दिसंबर को है या 24 दिसंबर को। इस लेख में हम साल की अंतिम विनायक चतुर्थी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानेंगे.


23 या 24 दिसंबर? सही तिथि जानें (Vinayak Chaturthi Dec 2025 Date)


  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 23 दिसंबर 2025 को दोपहर 03:45 बजे से.
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 24 दिसंबर 2025 को दोपहर 01:30 बजे तक.


उदया तिथि का महत्व: हिंदू धर्म में उदया तिथि (सूर्योदय के समय मौजूद तिथि) को प्राथमिकता दी जाती है। चूंकि 24 दिसंबर को सूर्योदय के समय चतुर्थी तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए साल की अंतिम विनायक चतुर्थी 24 दिसंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी.


विनायक चतुर्थी की पूजा विधि (Puja Vidhi)


इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी विघ्न दूर होते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें। मंदिर की सफाई कर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। बप्पा को गंगाजल से अभिषेक कराएं। उन्हें सिंदूर, अक्षत, चंदन और जनेऊ अर्पित करें। गणेश जी को 21 दूर्वा (घास) और उनके प्रिय मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें। अंत में गणेश चालीसा का पाठ और आरती करें.


विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी का व्रत रखने से व्यक्ति की बुद्धि प्रखर होती है और कार्यों में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं। साल की अंतिम चतुर्थी होने के नाते, यह दिन बीते साल की त्रुटियों के लिए क्षमा मांगने और आने वाले साल की सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए उत्तम माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आती है और भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता के रूप में पूजने का विशेष अवसर देती है.


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य से पहले इसलिए की जाती है ताकि कार्य में आने वाली बाधाएं दूर हों और सफलता प्राप्त हो। विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है.


शास्त्रों में उल्लेख है कि इस दिन भगवान गणेश अपने भक्तों की प्रार्थनाएं शीघ्र स्वीकार करते हैं। विशेष रूप से यह तिथि बुद्धि, विवेक, ज्ञान और सौभाग्य की वृद्धि के लिए शुभ मानी जाती है। विद्यार्थी, व्यापारी और नौकरीपेशा लोगों के लिए विनायक चतुर्थी का व्रत विशेष फलदायी माना गया है.


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