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विदेशी निवेशकों का IPO में बढ़ता रुझान: शेयर बाजार में अनोखा ट्रेंड

इस वर्ष भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का एक नया रुझान देखने को मिल रहा है। जहां वे सेकेंडरी मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं, वहीं IPOs में भारी निवेश कर रहे हैं। विशेषज्ञ इसे ‘द ग्रेट डाइवर्जेंस’ के रूप में देख रहे हैं। इस लेख में जानें कि कैसे विभिन्न प्रकार के विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अपनी रणनीतियों को लागू कर रहे हैं और क्या है इसके पीछे का कारण।
 

विदेशी निवेशकों का नया निवेश पैटर्न

विदेशी निवेशक कहां कर रहे निवेश?

इस वर्ष भारतीय शेयर बाजार में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) ने एक ओर जहां सेकेंडरी मार्केट में भारी बिकवाली की है, वहीं दूसरी ओर वे IPOs में सक्रियता से निवेश कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, FIIs ने इस साल अब तक सेकेंडरी मार्केट से लगभग ₹2 लाख करोड़ निकाल लिए हैं, जबकि उन्होंने IPOs में ₹55,000 करोड़ का निवेश किया है। यह स्थिति बाजार में चर्चा का विषय बनी हुई है।


‘द ग्रेट डाइवर्जेंस’ - निवेशकों के दो अलग-अलग समूह

एक रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञ इस प्रवृत्ति को ‘द ग्रेट डाइवर्जेंस’ के नाम से जानते हैं। सभी विदेशी निवेशक एक समान नहीं होते। कुछ शॉर्ट-टर्म हेज फंड होते हैं, जो वैश्विक प्रवृत्तियों पर प्रतिक्रिया करते हैं, जैसे अमेरिका में AI का उभार या चीन में निवेश की वापसी। ये निवेशक सेकेंडरी मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं ताकि मुनाफा बुक कर सकें या जोखिम को कम कर सकें।

वहीं, दूसरी ओर लॉन्ग-टर्म निवेशक जैसे सॉवरेन फंड और पेंशन फंड भारत की विकास की संभावनाओं में विश्वास रखते हैं। ये लोग IPOs के माध्यम से नए क्षेत्रों में प्रारंभिक निवेश कर रहे हैं, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी प्राप्त करने का अवसर मिलता है।


भारत की IPO लहर में FIIs की सक्रियता

दिलचस्प बात यह है कि सेकेंडरी मार्केट से धन निकालने के बावजूद, FIIs भारत के IPO मार्केट में काफी सक्रिय हैं। इस वर्ष अब तक 84 कंपनियों ने लिस्टिंग की है, जिससे ₹1.3 लाख करोड़ जुटाए गए हैं। इनमें टाटा कैपिटल, HDB फाइनेंशियल, JSW सीमेंट, अर्बन कंपनी, और LG इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।

इसके अलावा, सितंबर 2025 तक FIIs की भारतीय इक्विटी में हिस्सेदारी 13 साल के निचले स्तर 16.7% पर पहुंच गई है। इसका मतलब है कि एक ओर होल्डिंग घट रही है, वहीं दूसरी ओर नए निवेश बढ़ रहे हैं।


वैल्यूएशन और प्रॉफिट बुकिंग की रणनीति

विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति वैल्यूएशन के प्रति अनुशासन को दर्शाती है। हाल के तिमाहियों में कॉर्पोरेट कमाई धीमी रही है और भारतीय बाजार अन्य देशों की तुलना में महंगे हो गए हैं। इस स्थिति में, FIIs ऊँचे वैल्यूएशन पर ट्रेड हो रहे शेयरों से मुनाफा निकाल रहे हैं और IPOs या QIPs में आकर्षक दाम पर पुनः निवेश कर रहे हैं। इसका मतलब है कि वे महंगे में बेचने और सस्ते में खरीदने की रणनीति अपना रहे हैं।


प्राइमरी मार्केट में विश्वास, सेकेंडरी में सतर्कता

मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि FIIs IPOs में निवेश इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इससे वे सीधे कंपनियों में पैसा लगा सकते हैं, जिससे विकास, विस्तार और कर्ज में कमी को समर्थन मिलता है। यह लॉन्ग-टर्म निवेशकों के लिए एक बेहतर अवसर होता है। वहीं, सेकेंडरी मार्केट में वे अभी भी वैश्विक अनिश्चितता और ब्याज दरों में बदलाव के कारण सतर्क बने हुए हैं।