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वंदे मातरम्: 150 वर्षों का देशभक्ति का प्रतीक

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर इस गीत के महत्व को उजागर किया। उन्होंने इसे केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक नारा बताया जो पीढ़ियों से देशभक्ति की भावना को व्यक्त करता आया है। जानें इस गीत की गूंज और प्रेरणा के बारे में, जिसने आजादी की रैलियों और स्कूल सभाओं में लोगों को गर्व और समर्पण की भावना से प्रेरित किया है।
 

वंदे मातरम् का महत्व

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार को ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस गीत के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा नारा है जो पीढ़ियों से देशभक्ति की भावना को व्यक्त करता आया है।


नायडू ने इस अवसर पर कहा कि वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर यह गीत आजादी की रैलियों और स्कूल सभाओं में गूंजता रहा है, जिसने विभिन्न पीढ़ियों को राष्ट्र के प्रति गर्व और समर्पण की भावना से प्रेरित किया है।


सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उन्होंने लिखा, ‘‘आज वंदे मातरम् गीत को 150 साल पूरे हो गए हैं। यह सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि एक ऐसा नारा है जो आजादी की रैलियों से लेकर स्कूल सभाओं तक, देशभक्ति से भरे स्थानों पर गूंजता रहा है और पीढ़ियों को गर्व और भक्ति से प्रेरित करता रहा है।’’


उन्होंने यह भी कहा कि बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित यह गीत एकता और साहस का प्रतीक है, जो हमारी मातृभूमि के प्रति एक शाश्वत श्रद्धांजलि है।