वंदे मातरम का 150वां वर्ष: भाजपा ने नेहरू पर लगाया आरोप
भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम अब 150 वर्ष का हो गया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी समारोहों की योजना बना रहे हैं, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने नेहरू के समय में इस गीत को विकृत किया। भाजपा प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा कि कांग्रेस ने जानबूझकर देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंदों को हटाया। इस विवाद में नेहरू के पत्रों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें उन्होंने वंदे मातरम को मुसलमानों के लिए विवादास्पद बताया। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया।
Nov 7, 2025, 10:45 IST
वंदे मातरम का ऐतिहासिक महत्व
भारत का राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम, अब 150 वर्ष का हो गया है। इसे बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था और यह पहली बार 7 नवंबर 1875 को बंगदर्शन नामक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। इसका अर्थ है "माँ, मैं आपको नमन करता हूँ"। चटर्जी ने इस गीत को अपने प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' में शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुआ। रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे संगीतबद्ध किया और 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस अधिवेशन में गाया।
भाजपा का नेहरू पर आरोप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में समारोहों की योजना बना रहे हैं। इस बीच, भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय में इस गीत को "ऐतिहासिक रूप से विकृत" किया। भाजपा के प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम का केवल एक संक्षिप्त संस्करण अपनाया और जानबूझकर देवी दुर्गा की स्तुति वाले छंदों को हटा दिया।
कांग्रेस का सांप्रदायिक एजेंडा
केसवन ने कहा, "युवा पीढ़ी को यह जानना चाहिए कि कांग्रेस ने अपने फैज़पुर अधिवेशन में वंदे मातरम का संक्षिप्त रूप अपनाया। यह गीत हमारे राष्ट्र की एकता और एकजुटता का प्रतीक है, लेकिन कांग्रेस ने इसे धर्म से जोड़ने का ऐतिहासिक पाप किया।" उन्होंने यह भी कहा कि नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने जानबूझकर देवी माँ दुर्गा का गुणगान करने वाले छंदों को हटा दिया।
नेहरू का पत्र और विवाद
भाजपा नेता ने 1937 में नेहरू द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लिखे एक पत्र का उल्लेख किया, जिसमें नेहरू ने कहा था कि वंदे मातरम की पृष्ठभूमि "मुसलमानों को नाराज़ कर सकती है"। केसवन ने इसे "एक ऐतिहासिक भूल" करार दिया, जिसने इस गीत के राष्ट्रीय प्रतीकवाद को कमजोर किया।
वंदे मातरम को लेकर नेहरू की टिप्पणी
केसवन ने कहा, "1937 में नेहरू ने लिखा था कि वंदे मातरम के शब्दों को देवी से संबंधित मानना बेतुका है। नेताजी सुभाष बोस ने इस गीत के पूर्ण संस्करण की वकालत की थी।"
नेहरू की हिंदू विरोधी मानसिकता
केसवन ने राहुल गांधी की हालिया टिप्पणियों की तुलना करते हुए कहा कि नेहरू की "हिंदू-विरोधी मानसिकता" उनके बयानों में भी दिखाई देती है। उन्होंने कहा, "नेहरू की यह मानसिकता राहुल गांधी में भी स्पष्ट है, जिन्होंने हाल ही में छठ पूजा को एक नाटक बताया।" यह बयान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वंदे मातरम के स्मरणोत्सव के उद्घाटन से कुछ घंटे पहले आया है।
अमित शाह का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज भी देशवासियों के हृदय में राष्ट्रवाद की ज्योति प्रज्वलित करता है। उन्होंने कहा कि यह गीत केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा की आवाज है। शाह ने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता की चेतना को सशक्त बनाया और मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण की भावना को जागृत किया।
समारोह की योजना
इस कार्यक्रम में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया जाएगा, और राष्ट्रव्यापी स्तर पर इस गीत का गायन होगा, जो नवंबर 2026 तक चलने वाले समारोहों की शुरुआत का प्रतीक होगा।