×

लोकसभा अध्यक्ष ने विधायी गरिमा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी निकायों की गरिमा में गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और सदस्यों से इस मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया। बिरला ने कहा कि सदन को जनता की आवाज बनना चाहिए और सदस्यों को जनहित के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने सदन के भीतर और बाहर मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
 

विधायी निकायों की गरिमा पर चिंता

लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को विधायी निकायों की गरिमा में कमी को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और विधायी सदस्यों से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया।


दिल्ली विधानसभा में विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्षों के सम्मेलन के समापन समारोह में बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सत्र की अध्यक्षता करते समय ‘निर्विवाद, स्वतंत्र और न्याय करने वाले’ के रूप में देखा जाना चाहिए।


उन्होंने कहा, ‘हमारे संविधान निर्माताओं ने सदन में किसी भी विषय पर, यहां तक कि सरकार के खिलाफ भी, बोलने का विशेषाधिकार दिया था। लेकिन इस स्वतंत्रता की मंशा में कमी आई है, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है।’


बिरला ने यह भी कहा कि यह आवश्यक है कि सदन सार्थक चर्चा और जनहित के मुद्दों पर विचार के लिए संचालित हो। उन्होंने सदस्यों से दलगत स्वार्थों को छोड़कर उन लोगों की अपेक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया जिन्होंने उन्हें चुना है।


उन्होंने कहा, ‘सदस्यों को जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहिए। सदनों को जनता की आवाज बनना चाहिए और उनके विचारों को सही तरीके से प्रतिबिंबित करना चाहिए।’


बिरला ने सदन के भीतर और बाहर मर्यादा और सम्मान बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘असहमति लोकतंत्र की ताकत है, लेकिन सदस्यों को सदन के भीतर और बाहर आचार संहिता का पालन करना चाहिए। जनता हमारे शब्दों और कार्यों पर नजर रख रही है।’ लोकसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से विधायिका की गरिमा को बनाए रखते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आह्वान किया।