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लालू प्रसाद यादव फिर से बने राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष

राष्ट्रीय जनता दल ने लालू प्रसाद यादव को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है। यह निर्णय बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। तेजस्वी यादव, जो पार्टी के चेहरे हैं, को सक्रिय नेतृत्व का अवसर दिया गया है, जबकि लालू का प्रतीकात्मक अधिकार बना हुआ है। जानें इस पुनर्नियुक्ति के पीछे की रणनीति और राजनीतिक संदेश।
 

लालू प्रसाद यादव की पुनर्नियुक्ति

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मंगलवार को यह घोषणा की कि उसके संस्थापक लालू प्रसाद यादव को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। पार्टी के रिटर्निंग ऑफिसर रामचंद्र पुरबे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यादव एकमात्र उम्मीदवार थे जिन्होंने नामांकन पत्र भरा था और उनकी योग्यता की जांच के बाद उन्हें सही पाया गया। यह पुनर्नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।


तेजस्वी यादव की भूमिका

तेजस्वी यादव चुनावी अभियानों में पार्टी का चेहरा बने हुए हैं और मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, लालू प्रसाद किसी अन्य को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपने के लिए तैयार नहीं दिखते। 2020 के विधानसभा चुनावों में तेजस्वी ने अभियान का नेतृत्व किया और पार्टी के पोस्टरों पर प्रमुखता से नजर आए। हालांकि, महागठबंधन को जीत नहीं मिली। इस बार, पार्टी ने दोहरी नेतृत्व की रणनीति अपनाई है, जिसमें लालू का प्रतीकात्मक अधिकार बना हुआ है जबकि तेजस्वी को सक्रिय नेतृत्व करने का अवसर दिया गया है। 78 वर्ष की आयु में, लालू शायद पूरे राज्य में प्रचार करने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी उपस्थिति राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक मानी जा रही है।


भविष्य की दिशा

लालू यादव को बनाए रखने का निर्णय यह संकेत देता है कि पार्टी अभी औपचारिक रूप से कमान सौंपने के लिए तैयार नहीं है, भले ही युवा पीढ़ी पहले से ही राजनीति में सक्रिय हो। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने लालू यादव के नामांकन पर टिप्पणी करते हुए कहा, "लालू यादव ने 13वीं बार पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर आरजेडी का अंतिम संस्कार कर दिया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि पार्टी भाई-भतीजावाद से आगे नहीं बढ़ सकती और भ्रष्टाचार के लिए बनी है।"