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लाल किले के पास विस्फोट के बाद अल-फ़लाह विश्वविद्यालय में सुरक्षा जांच तेज

10 नवंबर को लाल किले के पास एक कार में हुए विस्फोट के बाद अल-फ़लाह विश्वविद्यालय में सुरक्षा जांच तेज हो गई है। 200 से अधिक डॉक्टर और कर्मचारी जांच एजेंसियों के घेरे में हैं, जिससे विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है। कई लोग अपने मोबाइल डेटा को डिलीट कर चुके हैं, और पुलिस ने 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। इस घटना के बाद अल-फ़लाह मेडिकल कॉलेज में मरीजों की संख्या में भी कमी आई है।
 

लाल किले के पास विस्फोट की घटना

10 नवंबर को लाल किले के निकट एक कार में हुए विस्फोट के बाद, अल-फ़लाह विश्वविद्यालय के 200 से अधिक डॉक्टर और कर्मचारी जांच एजेंसियों के घेरे में हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ विश्वविद्यालय में लगातार जांच कर रही हैं, जिससे वहां के छात्रों और कर्मचारियों में चिंता बढ़ गई है। कई कर्मचारी अपने सामान को गाड़ियों में लादकर विश्वविद्यालय से बाहर निकलते हुए देखे गए हैं। सूत्रों के अनुसार, वे छुट्टी लेकर अपने घर लौट रहे हैं।


जांच एजेंसियाँ विस्फोट के बाद विश्वविद्यालय छोड़ने वाले लोगों की संख्या और उनकी पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। उन्हें संदेह है कि इनमें से कई लोग आतंकवादियों से जुड़े हो सकते हैं।


जांच की प्रक्रिया और संदिग्ध गतिविधियाँ

सूत्रों के अनुसार, कई लोगों ने अपने मोबाइल डेटा को डिलीट कर दिया है, जिसकी भी जांच की जाएगी। पुलिस ने छात्रावासों और विश्वविद्यालय परिसर के बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी ली है और 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।


जांच एजेंसियों ने एक 35 वर्षीय महिला को हिरासत में लिया है, जिसने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन-नब को नूंह की हिदायत कॉलोनी में एक कमरा किराए पर दिया था। यह महिला दिल्ली बम धमाकों के बाद से फरार थी। घटना के बाद उसके परिवार की भी जांच की जा रही है।


अल-फ़लाह मेडिकल कॉलेज पर असर

लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट के बाद अल-फ़लाह मेडिकल कॉलेज के आतंकवाद से संबंध उजागर होने के कारण इस अस्पताल में मरीजों की संख्या में कमी आई है। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, पहले यहां प्रतिदिन लगभग 200 मरीज आते थे, जो अब घटकर 100 से भी कम रह गए हैं। जांच एजेंसियाँ यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या विश्वविद्यालय के अंदर कोई हैंडलर मौजूद था, क्योंकि उमर को संस्थान में "विशेष सुविधा" मिलती थी।