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लाल किला धमाके की जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का महत्वपूर्ण रोल

लाल किला में हुए हालिया धमाके की जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया है, जहां 200 से अधिक डॉक्टर और स्टाफ संदिग्धों की सूची में हैं। जांच एजेंसियां इस यूनिवर्सिटी में आतंकवादियों से संभावित संबंधों की पड़ताल कर रही हैं। कई कर्मचारियों को यूनिवर्सिटी छोड़ते हुए देखा गया है, और पुलिस ने 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। जानें इस मामले में क्या नया सामने आया है और जांच का दायरा किस ओर बढ़ रहा है।
 

जांच का दायरा बढ़ा

नई दिल्ली: लाल किला में हुए धमाके की जांच अब व्यापक रूप ले चुकी है। संदिग्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों का ध्यान फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर केंद्रित है। रिपोर्टों के अनुसार, 10 नवंबर को लाल किला के पास हुए कार बम विस्फोट से जुड़े मामले में इस यूनिवर्सिटी के 200 से अधिक डॉक्टर और स्टाफ सदस्य जांच के दायरे में हैं। यह इसलिए है क्योंकि दिल्ली धमाके का आत्मघाती हमलावर उमर नबी यहीं का प्रोफेसर था, और आशंका है कि उसका कोई हैंडलर भी यहां मौजूद हो सकता है।


अल-फलाह यूनिवर्सिटी में छानबीन

जांच और सुरक्षा एजेंसियां अल-फलाह यूनिवर्सिटी में लगातार जांच कर रही हैं, जिससे वहां के छात्रों और स्टाफ में हड़कंप मच गया है। बुधवार को कई कर्मचारियों को गाड़ियों में सामान समेटते हुए देखा गया। सूत्रों के अनुसार, ये लोग छुट्टियों पर अपने घरों की ओर जा रहे हैं।


आतंकवादियों से संबंधों की जांच

सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसियां उन लोगों की पहचान और संख्या का पता लगा रही हैं, जो धमाके के बाद यूनिवर्सिटी छोड़ चुके हैं। उन्हें संदेह है कि इनमें से कई का आतंकवादियों से संबंध हो सकता है। कई लोगों ने अपने मोबाइल डेटा भी डिलीट कर दिए हैं, जिसकी जांच की जाएगी। पुलिस ने होस्टल और कैंपस से बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी भी ली है और 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।


नूंह में हुई गिरफ्तारी

जांच एजेंसियों ने नूंह की हिदायत कॉलोनी से 35 वर्षीय एक महिला को हिरासत में लिया है, जिसने आत्मघाती हमलावर उमर नबी को किराए पर कमरा दिया था। यह महिला, जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है, धमाके के बाद से फरार थी। उमर ने नूंह में कई मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, और इसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए सात अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा सकती है।


क्या यूनिवर्सिटी में था हैंडलर?

जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कोई हैंडलर मौजूद था। उमर को यहां विशेष सुविधाएं मिलती थीं। दो डॉक्टरों ने बताया कि उमर 2023 में बिना किसी सूचना के छह महीने तक गायब रहा, और जब वह वापस आया, तो उसे कोई कार्रवाई नहीं हुई।


कमांड सेंटर की स्थापना

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एनआईए के साथ-साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, यूपी एटीएस, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच और जम्मू-कश्मीर पुलिस की मौजूदगी बनी हुई है। मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच में शामिल हो गया। इन एजेंसियों के लिए कैंपस के अंदर एक अस्थायी कमांड सेंटर स्थापित किया गया है।


आरोपियों पर कार्रवाई

इस बीच, एनआईए ने इस आतंकी घटना के सिलसिले में उमर नबी के सहयोगियों डॉक्टर मुजम्मिल शकील गनी, डॉ शाहीन सईद, डॉ अदील अहमद राथर और मौलवी इरफान अहमद को गिरफ्तार किया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इन्हें 10 दिनों की रिमांड पर एनआईए को सौंप दिया है। इस प्रकार, दिल्ली धमाके के मामले में एनआईए की कस्टडी में आरोपियों की संख्या अब छह हो गई है।