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लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश की सरकार से अपील

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद भारत सरकार से अपील की है कि वह स्थानीय लोगों की जायज़ मांगों को गंभीरता से ले। उन्होंने बताया कि लद्दाख के निवासियों के भूमि और रोजगार के अधिकार खतरे में हैं और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से नौकरशाही के नियंत्रण में है। रमेश ने चीन की गतिविधियों और सरकार की प्रतिक्रिया से उत्पन्न अनिश्चितता पर भी चिंता जताई। उनका कहना है कि लद्दाख की सांस्कृतिक और सामरिक महत्वता को देखते हुए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।
 

लद्दाख के लोगों की पीड़ा पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने शुक्रवार को लद्दाख में हाल की हिंसा के संदर्भ में कहा कि भारत सरकार को लद्दाख के निवासियों की पीड़ा को समझते हुए अपनी अंतरात्मा को जागृत करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को उनकी जायज़ मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, न कि केवल बातचीत पर निर्भर रहना चाहिए। रमेश ने बताया कि स्थानीय लोगों के भूमि और रोजगार के अधिकार खतरे में हैं, और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से नौकरशाही के नियंत्रण में है। इसके अलावा, उन्होंने छठी अनुसूची के तहत विशेष सुरक्षा और निर्वाचित विधायिका की मांगों को नजरअंदाज करने की बात भी की। उन्होंने सीमा पर चीन की गतिविधियों और सरकार की प्रतिक्रिया से उत्पन्न अनिश्चितता पर भी प्रकाश डाला।




 


एक्स पर जयराम रमेश का बयान


जयराम रमेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि जब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब वहां के लोगों में बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन अब वे अपनी भूमि और रोजगार के अधिकारों को खतरे में देख रहे हैं, जिससे भारी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित निकायों को एलजी और नौकरशाही ने अपने नियंत्रण में ले लिया है। संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा और एक निर्वाचित विधायिका के लिए उनकी वैध मांगों पर केवल बैठकों का सिलसिला जारी है। चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति को एकतरफा बदलने और प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून, 2020 को चीन को क्लीन चिट देने से अनिश्चितता बढ़ी है।


 


लद्दाख की सांस्कृतिक और सामरिक महत्वता


कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि लद्दाख भारत के लिए कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके लोग हमेशा से गौरवान्वित भारतीय रहे हैं। उन्होंने लिखा कि लद्दाख सांस्कृतिक, आर्थिक, पारिस्थितिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उनकी पीड़ा और वेदना भारत सरकार की अंतरात्मा को जगाएगी, जिससे न केवल बातचीत बढ़ेगी, बल्कि उनकी वैध आकांक्षाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के बीच 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंध जारी हैं।