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लद्दाख में विकास की नई लहर: इंटरनेट, बिजली और सौर ऊर्जा का विस्तार

लद्दाख में पिछले पांच वर्षों में इंटरनेट और बिजली की सुविधाओं में अभूतपूर्व बदलाव आया है। केंद्र सरकार की पहल से अब हर गांव में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है और बिजली संकट का समाधान भी किया गया है। इसके अलावा, लद्दाख को सौर ऊर्जा का केंद्र बनाने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। जानें कैसे ये विकास स्थानीय उद्योगों को भी लाभ पहुँचा रहे हैं और क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ा रहे हैं।
 

लद्दाख में बदलाव की कहानी

5 साल में बदला लद्दाख!

लद्दाख, जो पहले मोबाइल सिग्नल से भी वंचित था, अब इंटरनेट से जुड़ चुका है। दूरदराज के गांवों में लोग ऑनलाइन संवाद कर रहे हैं, बच्चे डिजिटल माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, और प्रशासन भी तकनीकी सहायता से कार्य कर रहा है। केंद्र सरकार की भारतनेट परियोजना के तहत लद्दाख के सभी 193 ग्राम पंचायतों को सैटेलाइट इंटरनेट से जोड़ा गया है। अब हर गांव में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है। यहां तक कि जिन गांवों में मोबाइल टावर नहीं थे, वहां 175 नए मोबाइल टावर स्थापित किए गए हैं। अब लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों और सीमावर्ती क्षेत्रों में भी मोबाइल सिग्नल पहुंच चुका है, जिससे उन लोगों को लाभ मिल रहा है जो पहले दुनिया से कटे हुए थे।


लद्दाख में बिजली संकट का समाधान

खत्म हो गया लद्दाख का अंधेरा

लद्दाख में सर्दियों के दौरान बिजली की समस्या हमेशा से एक चुनौती रही है। बर्फबारी और ठंड के कारण बिजली पहुंचाना कठिन था। लेकिन अब सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 2019 में, श्रीनगर से लेह तक 335 किलोमीटर लंबी 220 किलोवोल्ट की ट्रांसमिशन लाइन शुरू की गई थी, जिससे पिछले 5 वर्षों में लद्दाख में स्थायी रूप से बिजली पहुंचाई जा रही है।

अब सरकार नुब्रा और जांस्कर जैसे कठिन इलाकों को भी बिजली व्यवस्था से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इसके लिए नई 220 किलोवोल्ट की लाइनें बनाई जा रही हैं। साथ ही, हिम्मया से न्योमा और खारू से दुर्बुक तक 66 किलोवोल्ट की लाइनें भी बिछाई जा रही हैं। बॉर्डर के पास के गांवों में भी बिजली का ग्रिड पहुंच रहा है। विशेष रूप से फ्यांग से डिस्किट (नुब्रा) और द्रास से पडुम (जांस्कर) तक दो नई ट्रांसमिशन लाइनें बनाई जा रही हैं, जिन्हें सरकार अगले वर्ष तक पूरा करने का लक्ष्य रखती है।


सौर ऊर्जा का नया युग

सूरज की रोशनी से चमक रहा लद्दाख

सरकार लद्दाख को सौर ऊर्जा का केंद्र बनाना चाहती है। यहां सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी भरपूर मिलती है। इसी को ध्यान में रखते हुए तरू इलाके में एक बड़ा सोलर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसमें 25 मेगावॉट एसी सोलर प्लांट, 50 मेगावॉट पीक क्षमता, और 40 मेगावॉट आवर बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) स्थापित किया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के माध्यम से तैयार हो रहा है। जब यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, तो लद्दाख अपनी ऊर्जा जरूरतें खुद पूरी कर सकेगा और अन्य क्षेत्रों को भी ग्रीन एनर्जी प्रदान कर सकेगा। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।


स्थानीय उद्योगों का विकास

लद्दाख में छोटे कारोबार को मिला फायदा

पिछले 5 वर्षों में लद्दाख में छोटे और मध्यम उद्योग (MSME) तेजी से विकसित हुए हैं। अब तक 18,500 से अधिक व्यवसाय पंजीकृत हो चुके हैं, जो 54,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। सरकार की सहायता से लोगों को आसान कर्ज और योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता में वृद्धि हो रही है। हाल के वर्षों में लगभग 10,000 लोगों ने खादी ग्रामोद्योग योजना और प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत अपना व्यवसाय शुरू किया है। इससे न केवल उन्हें रोजगार मिला, बल्कि दूसरों को भी काम देने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 4,000 से अधिक पारंपरिक कारीगरों को 3 लाख रुपये तक का कर्ज, टूलकिट और कौशल विकास की ट्रेनिंग प्रदान की गई है। इससे पुराने हुनर फिर से जीवित हो रहे हैं।