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लड़कियों की शिक्षा में कमी: आंकड़े चिंताजनक

संसद के शीतकालीन सत्र में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति पर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। देशभर में 45.4 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जा रही हैं, जिसमें महाराष्ट्र की स्थिति सबसे खराब है। अन्य राज्यों की तुलना में केरल और मध्य प्रदेश में स्थिति बेहतर है। यह डेटा प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12वीं तक के आंकड़ों पर आधारित है, जो दर्शाता है कि लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए और प्रयासों की आवश्यकता है।
 

लड़कियों की शिक्षा पर चिंता

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में लड़कियों की शिक्षा से संबंधित एक गंभीर स्थिति उजागर हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में 45.4 प्रतिशत लड़कियां अभी भी स्कूल नहीं जा रही हैं। यह दर्शाता है कि विभिन्न योजनाओं के बावजूद, बालिका शिक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।


महाराष्ट्र में स्थिति सबसे खराब

राज्यवार आंकड़ों की समीक्षा करने पर, महाराष्ट्र की स्थिति सबसे चिंताजनक है, जहां 66 प्रतिशत लड़कियां स्कूल से बाहर हैं। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश (54.8%), मिजोरम (53.8%), जम्मू-कश्मीर (53.7%) और ओडिशा (49.5%) में भी बड़ी संख्या में लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं।


कुछ राज्यों में बेहतर स्थिति

वहीं, केरल जैसे कुछ राज्यों में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति बेहतर है, जहां केवल 33.2 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जातीं। मध्य प्रदेश (37.8%) भी राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्थिति में है। हालांकि, बिहार (45.7%), राजस्थान (46.2%) और उत्तर प्रदेश (47.2%) अब भी राष्ट्रीय औसत के आसपास या उससे ऊपर हैं।


राज्यवार स्कूल न जाने वाली लड़कियों का प्रतिशत

राष्ट्रीय औसत - 45.4%


महाराष्ट्र - 66%


हिमाचल प्रदेश - 54.8%


मिजोरम - 53.8%


जम्मू-कश्मीर - 53.7%


ओडिशा - 49.5%


उत्तर प्रदेश - 47.2%


राजस्थान - 46.2%


बिहार - 45.7%


मध्य प्रदेश - 37.8%


केरल - 33.2%


प्री-स्कूल से 12वीं तक के आंकड़े

यह डेटा प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12वीं तक का है और पिछले पांच वित्तीय वर्षों (FY 2022 से FY 2026) पर आधारित है। इसमें 2025 और 2026 के आंकड़े अस्थायी हैं, जिनमें आगे बदलाव संभव है। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर और अधिक गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस अंतर को कम किया जा सके।