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लंदन में विजय माल्या और ललित मोदी की भव्य पार्टी: एक विवादास्पद जश्न

लंदन में विजय माल्या और ललित मोदी की भव्य पार्टी ने भारत की न्याय व्यवस्था और सामाजिक नैतिकता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस जश्न में शामिल हुए कई नामी चेहरे और पार्टी की भव्यता ने यह दर्शाया कि कैसे आर्थिक अपराधियों को विदेश में आराम से जीवन जीने की अनुमति है। क्या यह संकेत है कि कानून केवल कमजोरों के लिए है? जानिए इस विवादास्पद पार्टी के बारे में और भी जानकारी।
 

लंदन में भगोड़ों का जश्न

लंदन की ठंडी शाम में बेलग्रेव स्क्वायर का एक भव्य बंगला जगमगा रहा था। यह कोई राजनयिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि भारत के दो कुख्यात भगोड़ों, विजय माल्या और ललित मोदी की दोस्ती का जश्न था। 16 दिसंबर को विजय माल्या के 70वें जन्मदिन से ठीक दो दिन पहले, आईपीएल के संस्थापक ललित मोदी ने यह शानदार पार्टी आयोजित की थी। दोनों ही भारत में गंभीर आर्थिक और आपराधिक मामलों का सामना करने से बचते हुए ब्रिटेन में आराम से जीवन बिता रहे हैं।




विजय माल्या, जो कि ब्रिटेन में दिवालिया घोषित हो चुके हैं और भारत में कई मामलों में वांछित हैं, के लिए यह पार्टी किसी शाही उत्सव से कम नहीं थी। उनके करीबी दोस्त भारत से लंदन पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस पार्टी में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्तियों में फैशन डिजाइनर मनोविराज खोसला, हॉलीवुड अभिनेता इद्रिस एल्बा और अरबपति उद्यमी किरण मजूमदार-शॉ जैसे नाम शामिल थे। पार्टी में भारतीय और लेबनानी व्यंजनों की भरपूर व्यवस्था थी, जो ललित मोदी की लेबनानी मूल की पार्टनर रीमा बूरी के कारण संभव हो पाई। संगीत में 70 और 80 के दशक के गाने बज रहे थे, और मिठाई में लाल, सफेद और हरे रंग के कपकेक सजाए गए थे, जिन पर सोने के अक्षरों में 'King' लिखा था।




माल्या ने मीडिया से कहा, “ललित ने मेरे लिए यह पार्टी आयोजित की। उनकी पार्टनर रीमा एक शानदार मेजबान हैं।” फ्लोरिडा के फोटोग्राफर जिम राइडेल ने पार्टी की तस्वीरें साझा कीं, जिसमें विजय माल्या ललित मोदी के कंधे पर हाथ रखे हुए नजर आ रहे हैं। तस्वीर में दोनों भगोड़े मुस्कुराते हुए दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि वे कानून को चुनौती दे रहे हों।




यह ध्यान देने योग्य है कि विजय माल्या पर 2009 में IDBI बैंक से किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज में धोखाधड़ी और साजिश के गंभीर आरोप हैं। 2020 में, उन्होंने ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण की लड़ाई हारने के बाद भी वहीं रहना चुना। दूसरी ओर, ललित मोदी 2010 में BCCI से निलंबन और बोली में धांधली के आरोपों के बाद भारत छोड़कर भाग गए थे और प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे हैं। हाल ही में, उन्हें मेफेयर के एक क्लब में अपने जन्मदिन पर नाचते हुए देखा गया था।




यह घटना केवल एक पार्टी की नहीं है, बल्कि यह भारत की न्याय व्यवस्था, राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामाजिक नैतिकता को चुनौती देने जैसा है। जब आम नागरिक कर्ज न चुका पाने पर जेल की दहलीज तक पहुंच जाते हैं, तब हजारों करोड़ रुपये के गुनहगार विदेश में आराम से जश्न मना रहे हैं। यह दृश्य गुस्सा और शर्मिंदगी पैदा करता है, और एक असहज सवाल उठाता है कि क्या कानून केवल कमजोरों के लिए है?




विजय माल्या और ललित मोदी की यह दोस्ती वास्तव में एक बेशर्म नाच है। माल्या को 'किंग ऑफ गुड टाइम्स' कहा गया था, लेकिन अब वह 'किंग ऑफ बैड लोन' बन गए हैं, जो बैंकों को खोखला कर चुके हैं और कर्मचारियों को सड़क पर छोड़ चुके हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह नहीं है कि वे पार्टी कर रहे हैं, बल्कि यह है कि उन्हें किसी भी चीज का डर नहीं है। जब भगोड़े खुलेआम तस्वीरें साझा करते हैं और जश्न मनाते हैं, तो यह स्पष्ट है कि उन्हें विश्वास है कि भारत उन्हें छू भी नहीं सकता।




यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि ऐसे आयोजनों में शामिल होने वाले 'सम्मानित' चेहरे क्या संदेश दे रहे हैं? क्या आर्थिक अपराध अब सामाजिक रूप से स्वीकार्य हो गए हैं, बस इस शर्त पर कि अपराधी अमीर हो और विदेश में रहता हो? भारत को भगोड़ों की प्रत्यर्पण प्रक्रिया को तेज और सख्त बनाना होगा, अन्यथा हर कुछ साल में कोई नया माल्या या ललित सामने आएगा और जनता बस गुस्से में खबरें पढ़ती रहेगी। कुल मिलाकर, लंदन की उस पार्टी में सजे 'King' के अक्षर वास्तव में भारत के लोकतंत्र पर एक व्यंग्य हैं।