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रेलवे पेंट्री में मैनेजर की बर्बरता: 5 रुपये के लिए कर्मचारी की पिटाई

हाल ही में एक वायरल वीडियो ने रेलवे पेंट्री कार में हुई एक बर्बरता को उजागर किया है, जहां मैनेजर ने केवल 5 रुपये की ओवरचार्जिंग के लिए अपने कर्मचारी की पिटाई की। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे मैनेजर ने कर्मचारी को अपमानित किया और उसकी पिटाई की, जबकि अन्य लोग केवल इसे रिकॉर्ड करते रहे। इस घटना ने पेंट्री कार में काम करने वाले कर्मचारियों के प्रति विश्वास को हिला दिया है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और वीडियो में क्या हुआ।
 

पेंट्री कार में हुई हिंसा का वायरल वीडियो

5 रुपये के लिए गजब पिटा बंदा Image Credit source: Social Media


रेलवे की पेंट्री कार को आमतौर पर यात्रियों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है, जहां कर्मचारी खाने-पीने का ध्यान रखते हैं। लेकिन हाल ही में एक वायरल वीडियो ने इस विश्वास को हिला दिया है। इस क्लिप में दिखाया गया है कि कैसे एक पेंट्री मैनेजर अपने कर्मचारी के साथ बर्बरता से पेश आता है। वीडियो में मैनेजर कर्मचारी को जमीन पर बैठाकर डांटता है, जो धीरे-धीरे हिंसा में बदल जाता है। वह बार-बार कर्मचारी की कॉलर पकड़ता है, उसके बाल खींचता है और थप्पड़ मारता है। कर्मचारी घबराकर खुद को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन मैनेजर की हिंसा थमने का नाम नहीं लेती।


वीडियो में क्या हुआ?


क्लिप में एक अन्य व्यक्ति की आवाज सुनाई देती है, जो मैनेजर से शांत रहने की अपील करता है। वह कहता है कि गलती हुई होगी, इसे बातचीत से सुलझाया जा सकता है। लेकिन मैनेजर की हिंसा जारी रहती है। उसकी नाराजगी इस हद तक बढ़ जाती है कि वह कर्मचारी को अपमानित करने में जुटा रहता है। पेंट्री कार में इस तरह का व्यवहार देखकर कोई भी चौंक सकता है।


वीडियो में बताया गया है कि इस विवाद की वजह केवल पांच रुपये की ओवरचार्जिंग थी। मैनेजर का कहना है कि इस गलती के कारण कंपनी पर भारी जुर्माना लग सकता है, और इसी तनाव में वह अपना आपा खो बैठा। हालांकि, किसी भी परिस्थिति में हिंसा को सही नहीं ठहराया जा सकता। हर संगठन में शिकायत और जांच की प्रक्रिया होती है, लेकिन मैनेजर ने किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।


वीडियो देखें



वीडियो देखने पर यह भी स्पष्ट होता है कि वहां मौजूद लोग केवल रिकॉर्डिंग तक सीमित रहते हैं। वे रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन मैनेजर की नाराजगी इतनी तीव्र होती है कि कोई भी कर्मचारी को बचाने का साहस नहीं जुटा पाता। ऐसी स्थितियों में डर भी समझ में आता है कि कहीं गुस्सा किसी और पर न टूट पड़े। फिर भी, यह सोचने की बात है कि किसी को बचाने के लिए सिर्फ कैमरा खुला रखना काफी नहीं होता।