रेडियो की प्रासंगिकता पर मुख्यमंत्री फडणवीस का जोर
रेडियो का महत्व और मुख्यमंत्री का संबोधन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि रेडियो एक ऐसा माध्यम है जो दशकों से लोगों के बीच मौजूद है और आज भी इसकी प्रभावशीलता कम नहीं हुई है। उन्होंने इसे समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने वाला एक महत्वपूर्ण साधन बताया।
फडणवीस महाराष्ट्र रेडियो महोत्सव और आशा रेडियो पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे, जिसमें प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले भी उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री ने छह रेडियो जॉकी के साथ बातचीत की और अपने रेडियो के प्रति जुड़ाव, संगीत के प्रति प्रेम और गीत लेखन के शौक को साझा किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्व संगीत दिवस के अवसर पर किया गया था, जिसमें उन्होंने एक कविता सुनाई और एक गीत भी गुनगुनाया।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियो के प्रभाव को समझा और 'मन की बात' कार्यक्रम के माध्यम से नागरिकों से सीधे जुड़ने का प्रयास किया। आशा भोसले ने इस अवसर पर कहा, 'अगर रेडियो नहीं होता, तो मैं आज इस मुकाम पर नहीं होती।'
फडणवीस ने रेडियो की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि यह दशकों से लोगों के जीवन का हिस्सा रहा है। उन्होंने याद किया कि उनकी सुबह हमेशा रेडियो के साथ शुरू होती थी और विविध भारती के गाने उनके लिए विशेष थे।
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि हमें रेडियो उद्योग में काम करने वालों के योगदान को मान्यता देनी चाहिए। इन पुरस्कारों की स्थापना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रेडियो में ध्वनि के माध्यम से चित्र बनाने की अद्भुत क्षमता है।'
कार्यक्रम में महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए पुरस्कारों की शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि भारत का पहला रेडियो प्रसारण 1923 में 'रेडियो बॉम्बे' के रूप में शुरू हुआ था। महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जो इस तरह के सम्मान के माध्यम से रेडियो उद्योग में योगदान को औपचारिक रूप से मान्यता दे रहा है। इस समारोह में 12 श्रेणियों में पुरस्कार वितरित किए गए।