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रूस-यूक्रेन संघर्ष: परमाणु खतरे की नई परतें

रूस और यूक्रेन के बीच का संघर्ष अब वैश्विक युद्ध का रूप लेता दिख रहा है। हालिया घटनाओं में यूक्रेन द्वारा किए गए ड्रोन हमले ने रूस को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस बीच, रूस ने अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ा दिया है और पुतिन के जवाबी हमले की संभावना भी जताई जा रही है। ब्रिटेन ने भी अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाने की योजना बनाई है। जानें इस जटिल स्थिति का क्या असर हो सकता है।
 

संघर्ष की गंभीरता बढ़ती जा रही है

रूस और यूक्रेन के बीच का संघर्ष अब वैश्विक युद्ध का रूप लेता दिख रहा है। शांति प्रयासों के बावजूद, दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ बड़े साजिशों में लगे हुए हैं, जिससे युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं।


रूस की सैन्य तैयारी

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस ने 50,000 सैनिकों को तैनात किया है, जो कीव पर एक बड़ा हमला कर सकते हैं। इसी बीच, यूक्रेन ने रूस पर एक बड़ा ड्रोन हमला किया है, जिससे रूस को भारी नुकसान हुआ है। कई रिपोर्टों में यह भी बताया गया है कि रूस के दो एयरबेस और मॉस्को के परमाणु स्टेशन पर भी ड्रोन हमले हुए हैं।


पुतिन का संभावित जवाब

यूक्रेन के इस हमले के बाद, पुतिन के जवाबी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। रूस ने अपने फाइटर परमाणु स्टेशन को हाई अलर्ट पर रखा है। इस बीच, मिसाइलों और ट्रकों पर परमाणु बमों का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें लिखा गया है कि यह कोई अभ्यास नहीं है।


सैटेलाइट डेटा की जानकारी

ब्रिटिश एक्टिविस्ट जिम फार्ग्यूसन के अनुसार, रूस ने एंटी मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया है। सैटेलाइट डेटा से मिली जानकारी के अनुसार, वारहेड मार्गों पर असामान्य सैन्य गतिविधियों के संकेत मिल रहे हैं। फार्ग्यूसन ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां क्यूबा मिसाइल संकट के बाद कभी नहीं देखी गईं।


परमाणु हथियारों की स्थिति

रूस पिछले दो वर्षों से युद्ध में उलझा हुआ है और आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। इस बीच, यूक्रेन ने जर्मन टॉरस मिसाइलों का उपयोग करके रूस में तबाही मचाई है। रूस ने जर्मनी को चेतावनी दी है कि यदि उसने टॉरस मिसाइलों की आपूर्ति नहीं रोकी, तो इसे युद्ध माना जाएगा।


ब्रिटेन की नई रणनीति

ब्रिटेन ने भी रूस के खिलाफ अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाने की योजना बनाई है। ब्रिटिश मीडिया के अनुसार, ब्रिटेन अमेरिकी लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है, जो न्यूक्लियर हथियार दागने में सक्षम हैं। यह कदम रूस से बढ़ते खतरे के मद्देनजर उठाया गया है।