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रूस और पाकिस्तान के बीच महत्वपूर्ण आर्थिक समझौता: स्टील प्लांट का निर्माण

रूस ने पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण आर्थिक समझौता किया है, जिसके तहत कराची में एक आधुनिक स्टील प्लांट का निर्माण होगा। यह परियोजना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगी, जिससे स्टील आयात में 30% की कमी आने की उम्मीद है। इस समझौते के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा की जा रही है, खासकर भारत के संदर्भ में। क्या यह डील भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ाएगी? जानें इस महत्वपूर्ण समझौते के बारे में और अधिक जानकारी।
 

रूस-पाकिस्तान आर्थिक समझौता

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, रूस ने पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण आर्थिक समझौता किया है। इस समझौते के तहत कराची में एक आधुनिक स्टील प्लांट स्थापित किया जाएगा। यह परियोजना 2015 से बंद पड़े सोवियत-निर्मित पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) को फिर से चालू करने के लिए है।


समझौते की लागत और महत्व

इस डील की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर सकती है।


समझौते का विवरण

रूस और पाकिस्तान के बीच यह समझौता कराची में बंद पड़े स्टील प्लांट को फिर से चालू करने के लिए किया गया है। यह प्लांट 1970 के दशक में सोवियत संघ की मदद से स्थापित हुआ था और 1992 तक कार्यरत रहा। नए समझौते के तहत, रूस उन्नत इस्पात निर्माण तकनीक प्रदान करेगा, जिससे पाकिस्तान की स्टील आयात पर निर्भरता में 30% तक की कमी आने की संभावना है।


पाकिस्तान को होने वाले लाभ

यह डील पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। स्टील आयात में 30% की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा, जो वर्तमान में आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है। स्टील प्लांट के पुनर्निर्माण से हजारों रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे कराची और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।


भारत के लिए चिंता

यह समझौता भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के समय में हुआ है, जिसके कारण भारत में इस डील को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव बढ़ गया है।


रूस-पाकिस्तान संबंधों में वृद्धि

पिछले कुछ वर्षों में रूस और पाकिस्तान के बीच संबंध मजबूत हुए हैं। दोनों देशों ने 2023 में सस्ते कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए एक समझौता किया था। इसके अलावा, कराची-लाहौर गैस पाइपलाइन परियोजना पर भी काम चल रहा है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने इस डील पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंध रहे हैं, और भारत रूस से सैन्य उपकरणों की आपूर्ति पर निर्भर है।