रुपए की स्थिति: डॉलर के मुकाबले में सुधार और भविष्य की संभावनाएं
रुपए में सुधार के बावजूद जेब पर असर
हालांकि सेंट्रल बैंक के हस्तक्षेप के बाद डॉलर के मुकाबले रुपए में सुधार हुआ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी जेब पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि आप जल्द ही डॉलर में कोई भुगतान करने वाले हैं, जैसे कि विदेशी शिक्षा के लिए ट्यूशन, यात्रा खर्च, गैजेट का ऑर्डर, या वीजा शुल्क, तो रुपए की गिरावट का असर आपकी जेब पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकता है। रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2025 के अंत तक रुपए की स्थिति लगभग 90 डॉलर प्रति डॉलर पर स्थिर हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च के अंत तक रुपए की दर लगभग 88.50 डॉलर हो सकती है, जिससे रुपए में और मजबूती देखने को मिल सकती है.
रुपए में गिरावट का विश्लेषण
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में रुपए में 4.3 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले सप्ताह रुपए ने 91.10 के स्तर पर पहुंचकर अपने सबसे निचले स्तर को छुआ। चार लगातार सत्रों में गिरावट के बाद, सप्ताह के अंत में रुपए ने डॉलर के मुकाबले लगभग 1.3 फीसदी की मजबूती दिखाई। इस सुधार का श्रेय भारतीय रिज़र्व बैंक के हस्तक्षेप को दिया गया है।
बजट बनाने के लिए सुझाव
यदि आप जल्द ही डॉलर में भुगतान करने वाले हैं, तो 90 रुपए प्रति डॉलर को आधार मानकर अपनी योजना बनाएं और इसके आसपास कुछ अतिरिक्त राशि रखें। अमेरिकी डॉलर-रुपये (USD-INR) की दर में हर 1 रुपये के बदलाव से आपके रुपए की लागत 1,000 डॉलर पर 1,000 रुपए बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, यदि आपका भुगतान 3,000 डॉलर का है, तो 1 रुपये के बदलाव से आपकी लागत 3,000 रुपए बढ़ जाएगी।
भविष्य की दरों का अनुमान
वर्तमान में डॉलर के मुकाबले तीन संभावित स्तर हैं। पहला स्तर 88.50 का है, जो मार्च 2026 के अंत तक पहुंच सकता है। दूसरा स्तर 90 डॉलर का है, जो दिसंबर 2025 के अंत तक रह सकता है। तीसरा स्तर 91 डॉलर का है, जो दिसंबर में देखने को मिल सकता है। यदि आपको 500 डॉलर का भुगतान करना है, तो आपको 44,250 से लेकर 45,500 रुपए तक का भुगतान करना होगा।
बैंकों के विभिन्न अनुमान
देश के विभिन्न बैंकों के अनुसार, डॉलर की दर में भिन्नता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के अनुसार, दिसंबर के अंत तक डॉलर का स्तर 90 रुपए रह सकता है, जबकि मार्च के अंत तक यह 89.5 रुपए पर आ सकता है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और अन्य बैंकों के अनुसार भी विभिन्न स्तरों का अनुमान लगाया गया है।
आरबीआई के हस्तक्षेप का प्रभाव
यदि आप व्यापारी नहीं हैं, तो दो बातें महत्वपूर्ण हैं। पहला, आरबीआई संकेत दे रहा है कि वह एकतरफा गिरावट नहीं चाहता। बाजार के जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री से यह संकेत मिलता है कि वह गिरावट को बर्दाश्त नहीं करेगा। दूसरी बात, हस्तक्षेप की सीमाएं हैं। आरबीआई की बड़ी शॉर्ट पोजीशन के कारण हस्तक्षेप करने की क्षमता सीमित हो सकती है।
बजट बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें
बजट बनाते समय एक सीमा मानकर चलें। आरबीआई भले ही अत्यधिक बदलाव के खिलाफ रुख अपनाए, लेकिन आपकी भुगतान योजना में अस्थिरता को ध्यान में रखना चाहिए, खासकर जब भुगतान की तारीख निश्चित हो।