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रिलायंस ने रूस से तेल खरीदना किया बंद, अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता के बीच बड़ा फैसला

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने गुजरात में अपनी निर्यात रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का उपयोग बंद कर दिया है, जो अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लिया गया है। रिलायंस, जो भारत में रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, अब गैर-रूसी कच्चे तेल का उपयोग करेगी। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

रिलायंस इंडस्ट्रीज का महत्वपूर्ण निर्णय

रिलायंस इंडस्ट्रीज

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाएं बढ़ रही हैं, और इस संदर्भ में बातचीत जारी है। इसी बीच, मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने घोषणा की है कि उसने गुजरात के जामनगर में स्थित अपनी निर्यात रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का उपयोग बंद कर दिया है। यह निर्णय यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण लिया गया है।

रिलायंस भारत में रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, और यह तेल जामनगर के विशाल रिफाइनरी परिसर में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में परिवर्तित किया जाता है। यह परिसर दो रिफाइनरियों से मिलकर बना है, जिसमें एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) इकाई है, जो यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य देशों को ईंधन निर्यात करती है, जबकि दूसरी पुरानी इकाई घरेलू बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करती है।

यूरोपीय संघ रिलायंस के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, और उसने रूस की ऊर्जा आय को कम करने के लिए कई कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं। इनमें रूसी कच्चे तेल से बने ईंधनों की बिक्री और निर्यात पर रोक भी शामिल है। इसी कारण से रिलायंस ने अपनी SEZ रिफाइनरी में रूसी तेल का उपयोग रोक दिया है। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि 20 नवंबर से SEZ रिफाइनरी में रूसी कच्चे तेल का आयात बंद कर दिया गया है, और 1 दिसंबर से सभी निर्यात उत्पाद गैर-रूसी कच्चे तेल से बनाए जाएंगे.

अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध

यह निर्णय उस समय आया है जब अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस पर यूक्रेन से संबंधित कार्रवाई के चलते प्रतिबंध लगाए थे। इनमें रूस की प्रमुख तेल कंपनियों लुकोइल और रोसनेफ्ट पर रोक लगाई गई थी। मुकेश अंबानी की RIL ने रोसनेफ्ट से प्रतिदिन लगभग 5 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद के लिए एक दीर्घकालिक समझौता किया था।

अक्टूबर में यह भी बताया गया था कि अमेरिका द्वारा रोसनेफ्ट पर प्रतिबंध लगाने के बाद रिलायंस अपने दीर्घकालिक समझौते के तहत रूस से तेल लेना बंद कर देगी। यह घोषणा तब हुई जब अमेरिका ने भारत से होने वाले कुछ आयात पर 50% तक का भारी टैरिफ लगाया था, जिसका एक बड़ा हिस्सा रूस से भारत की तेल खरीद पर प्रतिक्रिया के रूप में लागू किया गया था.