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राहुल गांधी ने बिहार में जातिगत असमानता पर उठाया सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के कुटुंबा में एक चुनावी रैली में जातिगत असमानता पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि भारत के कॉरपोरेट, नौकरशाही और सेना पर ऊपरी जातियों का नियंत्रण है, जबकि दलित, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह असमानता संविधान के लिए खतरा है। उनके बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
 

राहुल गांधी का चुनावी भाषण

राहुल गांधी

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने 4 नवंबर 2025 को बिहार के कुटुंबा में एक चुनावी रैली में अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र, सरकारी प्रशासन और सशस्त्र बलों पर ऊपरी जातियों का नियंत्रण है, जो कुल जनसंख्या का लगभग 10% हैं। इसके विपरीत, दलित, पिछड़े वर्ग, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इन क्षेत्रों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं पा रहे हैं, जबकि ये लोग देश की 90% जनसंख्या का हिस्सा हैं।

जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर जोर देते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि यह असमानता संविधान की सुरक्षा के लिए खतरा है और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए डेटा की आवश्यकता है। उनका यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से पहले आया है, जिससे राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि 500 सबसे बड़ी कंपनियों की सूची तैयार की जाए और उसमें दलितों, अति पिछड़ों, महादलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों की स्थिति की जानकारी निकाली जाए। उन्होंने कहा कि इनमें से कोई भी नहीं मिलेगा, क्योंकि ये सभी लोग ऊपरी जातियों से आते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से सवर्ण जातियों का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि सभी बैंक संपत्तियां और नौकरियां इन जातियों के पास जाती हैं। नौकरशाही में भी इन्हीं का वर्चस्व है। उन्होंने प्रमुख नेतृत्व पदों का भी जिक्र किया और कहा कि न्यायालयों में भी इन्हीं का नियंत्रण है। सशस्त्र बलों में भी इनकी उपस्थिति का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।