राहुल गांधी का हरियाणा में वोट चोरी का आरोप, बीजेपी ने किया खारिज
हरियाणा में 25 लाख वोटों की चोरी का दावा
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से एक दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे "हाइड्रोजन बम फोड़ेंगे।" इस दौरान उन्होंने हरियाणा चुनावों में कथित 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया। हालांकि, उनका यह दावा फिर से कमजोर साबित हुआ है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि हरियाणा में लगभग 25 लाख वोट चोरी हुए हैं, जिसमें 5.21 लाख डुप्लिकेट वोटर, 93 हजार अमान्य वोट और लगभग 19 लाख बल्क वोट शामिल हैं। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की एक पुरानी प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक क्लिप दिखाया, जिसमें सैनी ने कहा था, "हमारे पास सारी व्यवस्थाएं हैं।" राहुल ने इसे "वोट चोरी की व्यवस्था" से जोड़ा। हालांकि, सैनी का असली संदर्भ गठबंधन की संभावनाओं पर था। राहुल ने कहा, "यह साजिश पूरे राज्य में फैली हुई है।"
राहुल ने अपनी 'एच-फाइल्स' प्रेजेंटेशन में यह भी कहा कि ब्राजील के मॉडल मैथ्यूज के नाम पर हरियाणा में 22 वोट दर्ज हैं। लेकिन एक न्यूज चैनल के अनुसार, इस मॉडल का नाम मैथ्यूज फरेरो नहीं है, बल्कि इस फोटो को खींचने वाले फोटोग्राफर का नाम मैथ्यूज फरेरो है। यह फोटो अब कई रॉयल्टी-फ्री इमेज एजेंसियों पर उपलब्ध है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग की कार्रवाई की संभावना
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, हरियाणा चुनाव के दौरान वोटर रोल को लेकर कोई आधिकारिक शिकायत या अपील दर्ज नहीं हुई थी। आयोग ने कहा कि सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी रहीं और डुप्लिकेट वोटरों की जांच पहले ही पूरी की जा चुकी थी। आयोग ने यह भी संकेत दिया कि वोटरों को प्रभावित करने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस पर आचार संहिता उल्लंघन के लिए कार्रवाई संभव है।
राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल
राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल
राहुल गांधी ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारतीय राजनीति में शोर मचाना और तथ्य पेश करना दो अलग बातें हैं। बिहार चुनाव से पहले हरियाणा में 'वोट चोरी' का आरोप लगाकर उन्होंने जो तथाकथित 'हाइड्रोजन बम' फोड़ा, वह पहले ही मिनट से बेकार साबित हुआ। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने जो आंकड़े और आरोप पेश किए, वे न तो किसी दस्तावेज से पुष्ट थे, न किसी आधिकारिक शिकायत से। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा कि हरियाणा में न कोई वोट चोरी की शिकायत आई और न ही किसी प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई गई।
दरअसल, राहुल गांधी का यह नया नैरेटिव पुराने असफल आरोपों की पुनरावृत्ति है। हार का ठीकरा सिस्टम, ईवीएम, चुनाव आयोग और अब सीसीटीवी फुटेज पर फोड़ देना-जब राजनीतिक जमीन खिसक रही हो, तब अपनी नाकामी को 'साजिश' की चादर से ढंकने का यह सुविधाजनक तरीका है। यह वही राजनीति है जिसमें मेहनत से ज्यादा मायने रखता है शोर, और तथ्य से ज्यादा मायने रखते हैं आरोप।
विडंबना यह है कि कांग्रेस के पास न तो कोई ठोस सबूत है, न कोई रणनीतिक सोच। राहुल गांधी का हर भाषण अब एक पूर्व निर्धारित पटकथा जैसा लगता है- "सिस्टम हमारे खिलाफ है", "लोकतंत्र खतरे में है" और "चुनाव चोरी हो गया"। मगर जनता अब इन घिसे-पिटे संवादों से ऊब चुकी है। जब एक नेता लगातार अपने संस्थानों पर भरोसा खो देता है, तो वह दरअसल लोकतंत्र में लोगों के भरोसे को खो देता है। राहुल गांधी का यह 'हाइड्रोजन बम' कोई विस्फोट नहीं कर सका-बल्कि यह उनकी अपनी विश्वसनीयता के मलबे में दफन हो गया। कांग्रेस को चाहिए कि वह साजिश नहीं, संघर्ष की राजनीति करे, क्योंकि लोकतंत्र में 'वोट चोरी' नहीं, बल्कि जनता का विश्वास सबसे बड़ा हथियार होता है।
भाजपा का जवाब
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को "फर्जी और निराधार" बताया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस अपनी हार का ठीकरा सिस्टम पर फोड़ रही है। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी विदेशों से आइडिया लाते हैं और फिर यहां शोर मचाते हैं। अगर मतदाता सूची में गड़बड़ी थी, तो चुनाव आयोग या अदालत में अपील की जा सकती थी।" भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए तैयार किया गया प्रेजेंटेशन विदेशों से बनवाया गया था। पार्टी ने कहा कि राहुल 'जमीनी राजनीति' से दूर हैं और केवल प्रचार के लिए ऐसे आरोप लगाते हैं।