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राहुल गांधी का अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र: सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने भाजपा की ध्यान भटकाने की कोशिशों का विरोध किया है। इस पत्र में अति पिछड़े, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस वादे किए गए हैं। राहुल गांधी ने शिक्षा को इन समुदायों की प्रगति का मुख्य साधन बताया और निजी संस्थानों में आरक्षण लागू करने की बात की। इस पहल का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समान विकास को सुनिश्चित करना है।
 

राहुल गांधी का बयान

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र जारी करने के एक दिन बाद कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चाहे कितनी भी कोशिशें कर ले, महागठबंधन अतिपिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों को उनके अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।


उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह लड़ाई अति पिछड़ों की समानता और सम्मान के लिए है, जो सच्चे सामाजिक न्याय का प्रतीक है।


संकल्प पत्र का महत्व

राहुल गांधी और महागठबंधन के अन्य नेताओं ने पटना में बुधवार को अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र का अनावरण किया।


लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने एक्स पर लिखा, 'भाजपा चाहे कितने भी झूठ बोले या ध्यान भटकाने की कोशिश करे, हम अतिपिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े समाज को उनके अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'


शिक्षा पर जोर

उन्होंने कहा कि बिहार में अतिपिछड़ा समाज को सशक्त बनाने और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए संकल्प पत्र में ठोस वादे किए गए हैं।


राहुल गांधी ने शिक्षा को इन समुदायों की प्रगति का सबसे महत्वपूर्ण साधन बताया और कहा कि इस क्षेत्र में उनकी पहुंच बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।


आरक्षण की नई व्यवस्था

उन्होंने कहा, 'अब निजी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में भी आरक्षण लागू होगा, और निजी स्कूलों की आधी आरक्षित सीटें एससी/एसटी/ओबीसी/ईबीसी बच्चों के लिए होंगी। इसके अलावा, नियुक्तियों में 'उपयुक्त नहीं मिला' जैसी अन्यायपूर्ण व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा।'


राहुल गांधी ने यह भी कहा कि यह केवल शिक्षा की बात नहीं है, बल्कि अति पिछड़ों की समानता और सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने इसे सच्चे सामाजिक न्याय और समान विकास की गारंटी बताया।