राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर साहित्य चर्चा का आयोजन
दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक द्विदिवसीय साहित्य परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने संघ के विचारों और साहित्य पर चर्चा की। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने संघ के विचारों की महत्ता पर जोर दिया, जबकि अन्य अतिथियों ने संघ साहित्य को मान्यता देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में साहित्यकारों और छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही, जिन्होंने विभिन्न विषयों पर विचार साझा किए।
Oct 5, 2025, 16:55 IST
दिल्ली विश्वविद्यालय में संघ साहित्य पर चर्चा
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने विरोधियों को कई बार क्षमा किया है, लेकिन राष्ट्र के दुश्मनों को कभी नहीं।
प्रो. सिंह ने शनिवार को इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा आयोजित द्विदिवसीय समग्र संघ साहित्य परिचर्चा के उद्घाटन सत्र में यह बात कही। यह कार्यक्रम पीजीडीएवी महाविद्यालय में आयोजित किया गया।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष संघ के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं, और यह समय संघ साहित्य पर चर्चा के लिए उपयुक्त है। प्रो. सिंह ने कहा कि संघ केवल व्यक्तियों का समूह नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा है। विचार से जुड़ने पर निराशा का अनुभव नहीं होता। संघ का उद्देश्य व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण करना है।
मुख्य अतिथि, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के पूर्व कुलाधिपति डॉ. बलवंत जानी ने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान परंपरा पर चर्चा के कारण संघ साहित्य को मान्यता मिल रही है।
विशिष्ट अतिथि, सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष श्री राजीव तुली ने कहा कि संघ को ऐसे लोगों ने बनाया है जो कभी रुके, टूटे, झुके या बिके नहीं। उन्होंने बताया कि सुरुचि प्रकाशन राष्ट्रीय साहित्य के प्रकाशन में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना देते हुए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के अध्यक्ष डॉ. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि संघ के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए यह परिचर्चा आयोजित की गई है। उद्घाटन सत्र का संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के महामंत्री संजीव सिन्हा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रो. ममता वालिया ने किया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी, पीजीडीएवी महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दरविंदर कुमार, और अन्य कई साहित्यकारों एवं छात्रों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
उद्घाटन सत्र के बाद, पहले सत्र में साहित्यकारों, प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने संघ विचारकों द्वारा लिखित पुस्तकों का सार प्रस्तुत किया, जिसमें राष्ट्र, भारतबोध, धर्म, संस्कृति, हिंदुत्व, और शिक्षा जैसे विषय शामिल थे। इस सत्र का संचालन कार्यक्रम सह संयोजक डॉ. मलखान सिंह ने किया।