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राष्ट्रपति मुर्मू ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर की प्रशंसा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना की, जिसमें सशस्त्र बलों ने एकजुटता और रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए प्रयासरत है। मुर्मू ने महाभारत का उदाहरण देते हुए युद्ध और शांति के प्रति भारतीय दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। इस लेख में राष्ट्रपति के विचारों और सशस्त्र बलों की भूमिका पर विस्तृत चर्चा की गई है।
 

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि देश के सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान एकजुटता और रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया गया।


भारत ने 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर' की शुरुआत की, जिसमें पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया। इस कार्रवाई के बाद चार दिनों तक तीव्र झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं।


सुरक्षा संदर्भ में बदलाव

राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के 65वें पाठ्यक्रम के सदस्यों को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और सुरक्षा संदर्भों को ध्यान में रखते हुए गतिशील प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है।


उन्होंने बताया कि भारत अपने सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत युद्ध के लिए तैयार करने में लगा हुआ है, ताकि वे बहु-क्षेत्रीय एकीकृत अभियानों में सक्षम हो सकें।


सशस्त्र बलों की प्रशंसा

राष्ट्रपति ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे सशस्त्र बलों ने एकजुटता और रणनीतिक दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया। सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर समन्वय के परिणामस्वरूप प्रभावी तालमेल स्थापित हुआ।


मुर्मू ने सशस्त्र बलों के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि नियंत्रण रेखा के पार और सीमा पार के क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के सफल अभियान के पीछे यही तालमेल था।


एकीकृत थिएटर कमांड का महत्व

राष्ट्रपति ने कहा कि एकजुटता को बढ़ावा देने की प्रक्रिया सैन्य मामलों के विभाग के गठन के साथ शुरू हुई, जिसके सचिव प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) हैं।


उन्होंने यह भी बताया कि एकीकृत थिएटर कमांड और एकीकृत युद्धक समूहों की स्थापना के माध्यम से सशस्त्र बलों के पुनर्गठन के प्रयास चल रहे हैं।


भारतीय परंपरा और युद्ध

मुर्मू ने कहा कि सार्वभौमिक मूल्य हमारे राष्ट्रीय हितों को परिभाषित करते हैं और भारतीय परंपरा ने हमेशा मानवता को एक परिवार के रूप में देखा है।


उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है, यह भावना 'वसुधैव कुटुम्बकम' में व्यक्त होती है। सार्वभौमिक भाईचारा और शांति हमारी आस्था के मूलमंत्र रहे हैं, लेकिन हमने मानवता और राष्ट्र के लिए हानिकारक ताकतों को हराने के लिए युद्ध के लिए तैयार रहने को भी महत्व दिया है।


महाभारत से सीख

राष्ट्रपति ने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें उन मूल्यों की अभिव्यक्ति मिलती है जिन्हें हम संजोते हैं।


उन्होंने कहा कि युद्ध को टालने और सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास किया गया। जब युद्ध अपरिहार्य हो गया, तो कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वे सभी संदेहों को दूर कर लें और बहादुरी से लड़ें।


शांति और अहिंसा का महत्व

इस प्रकार, युद्ध और शांति के प्रति भारतीय दृष्टिकोण शांति और अहिंसा के मूल्यों को सर्वोच्च महत्व देता है।


मुर्मू ने कहा कि लेकिन जब कोई लड़ाई अपरिहार्य हो जाती है, तो यह पूरे संकल्प के साथ लड़ने के लिए भी प्रेरित करती है।