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राष्ट्रपति मुर्मू की राफेल उड़ान: हरियाणा में ऐतिहासिक क्षण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को हरियाणा के अंबाला में राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी, जो भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। इस उड़ान के साथ, मुर्मू ने सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया है। इससे पहले, उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई में भी उड़ान भरी थी। राफेल विमानों का उपयोग हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकवादी ढांचों को नष्ट करने के लिए किया गया था। इस लेख में इस ऐतिहासिक उड़ान और इसके पीछे के महत्व पर चर्चा की गई है।
 

राष्ट्रपति मुर्मू का राफेल विमान में उड़ान

बुधवार की सुबह, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हरियाणा के अंबाला स्थित वायुसेना स्टेशन पर पहुंचीं, जहां उन्होंने राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरने की योजना बनाई।


भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत राफेल विमानों का उपयोग किया था।


इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह सहित कई अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। राष्ट्रपति भवन द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया था कि राष्ट्रपति मुर्मू अंबाला जाएंगी और राफेल विमान में उड़ान भरेंगी।


सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर के रूप में, मुर्मू ने 8 अप्रैल, 2023 को असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी, जिससे वह ऐसा करने वाली तीसरी राष्ट्रपति बन गईं।


पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने क्रमशः 8 जून, 2006 और 25 नवंबर, 2009 को पुणे के पास लोहेगांव वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरी थी।


फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन द्वारा निर्मित राफेल लड़ाकू विमान को सितंबर 2020 में अंबाला वायुसेना स्टेशन पर भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया।


पहले पांच राफेल विमानों को 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज में शामिल किया गया था, जो 27 जुलाई, 2020 को फ्रांस से भारत पहुंचे थे।


पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को नष्ट करने के लिए 7 मई को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में राफेल विमानों का उपयोग किया गया था। इन हमलों के बाद चार दिन तक भीषण सैन्य झड़पें हुईं, जो सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के बाद 10 मई को समाप्त हुईं।